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आर्थिक विकास से रोजगार तक – जानिए कैसे बदल जाएगी Muzzafarpur और Saran की तस्वीर

Muzzafarpur में 589 करोड़ की लागत से बनने वाला 3 लेन का पुल न सिर्फ 39 KM की दूरी कम करेगा बल्कि आर्थिक विकास, व्यापार, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी खोलेगा। जानिए कैसे यह प्रोजेक्ट मुजफ्फरपुर और Saran की तस्वीर बदलने जा रहा है।

बिहार के Muzzafarpur जिले में आधारभूत संरचना विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने गंडक नदी पर फतेहाबाद (पारू प्रखंड) से चंचलिया (सरैया प्रखंड) तक एक उच्च स्तरीय 3 लेन का पीएससी बाक्स सेल सुपर स्ट्रक्चर पुल बनाने की मंजूरी दे दी है। इस पुल पर कुल 589 करोड़ 4 लाख 78 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे।

पुल की लंबाई 2280 मीटर और चौड़ाई 15.55 मीटर होगी। इसके अलावा, 2200 मीटर लंबा एप्रोच पथ भी बनाया जाएगा। यह परियोजना न केवल Muzzafarpur , बल्कि पूरे उत्तर बिहार की आर्थिक और सामाजिक तस्वीर बदलने वाली है।


📍 दूरी घटेगी, समय और ईंधन की होगी बचत

वर्तमान में पारू प्रखंड से सारण जिले के तरैया तक जाने के लिए लोगों को रेवा घाट पुल होकर लगभग 49 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। लेकिन इस नए पुल के बन जाने के बाद यह दूरी मात्र 10 किलोमीटर रह जाएगी।

इसका सीधा मतलब है –


🌉 पुल से जुड़े आर्थिक और सामाजिक फायदे

गंडक नदी पर बनने वाला यह पुल सिर्फ एक संरचना नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।

1. व्यापार और बाजार से जुड़ाव

2. रोजगार और स्वरोजगार के अवसर

3. कृषि को नया बल

4. स्थानीय उद्योग और पर्यटन को बढ़ावा


🏛 प्रशासन और सरकार की उम्मीदें

डीएम सुब्रत कुमार सेन ने इस परियोजना पर कहा:
👉 “गंडक नदी पर बनने वाला यह पुल न केवल दो प्रखंडों को जोड़ेगा, बल्कि पूरे उत्तर बिहार की प्रगति का सेतु बनेगा। जिले की विकास की रफ्तार कई गुना बढ़ जाएगी।”

राज्य कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं तेजी से पूरी की जाएंगी ताकि निर्माण कार्य जल्द शुरू हो सके।


🚧 पुल की तकनीकी विशेषताएं


🌍 5 लाख लोगों को सीधा फायदा

यह पुल पारू और सरैया प्रखंड को जोड़कर करीब पांच लाख लोगों की जिंदगी आसान बना देगा।


📈 बिहार के इंफ्रास्ट्रक्चर में नई छलांग

बिहार सरकार लगातार सड़कों, पुलों और गंगा पथ जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है।


✨ निष्कर्ष

मुजफ्फरपुर में बनने वाला यह 3 लेन का शानदार पुल केवल एक इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि यह बिहार की नई विकास गाथा का प्रतीक है।

इस पुल से जहां 39 किलोमीटर की दूरी कम होगी, वहीं लाखों लोगों की जिंदगी आसान बनेगी। व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास की नई संभावनाएं पैदा होंगी।

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