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कृष्ण जन्माष्टमी 2025: आस्था, भक्ति और धर्म की विजय का पावन पर्व

कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू पर्व है। यह त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे भारत और विदेशों में बसे भक्तों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

कृष्ण जन्म की प्रेरक कथा

कंस ने देवकी के सात बच्चों को मार डाला, लेकिन आठवें बच्चे, श्रीकृष्ण, को वसुदेव ने यमुना पार कर गोकुल में नंद-यशोदा के घर पहुँचा दिया। वहीं उनका पालन-पोषण हुआ और बाद में उन्होंने अन्याय और अधर्म का अंत किया।


कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?


गीता का संदेश आज भी प्रासंगिक

श्रीकृष्ण ने गीता में कहा —

“कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”
यह शिक्षा आज की दौड़-भाग वाली जिंदगी में भी प्रेरणा देती है कि निष्ठा और ईमानदारी से कर्तव्य पालन ही सच्ची सफलता है।


कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पर खास संदेश

कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह हमें साहस, भक्ति और धर्म की राह पर चलने का संकल्प दिलाता है। इस दिन हमें ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और अपने जीवन में श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

1. शुद्धता और स्वच्छता

2. संकल्प और नियम

3. भोजन और परहेज़

4. पूजा और भजन-कीर्तन

5. स्वास्थ्य का ध्यान

6. दान और सेवा

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