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बारिश नहीं, व्यवस्था की मार है कंकड़बाग का जलजमाव !

By: Info Bihar Team | दिनांक: 28 जुलाई 2025 | लोकेशन: पटना, बिहार

पटना: राजधानी के सबसे व्यस्त और घनी आबादी वाले इलाकों में से एक कंकड़बाग इन दिनों एक बार फिर जलजमाव की समस्या से जूझ रहा है। बीते 24 घंटे की बारिश ने इलाके की तस्वीर को तालाब में बदल दिया है। सड़कें, गलियाँ, घर और दुकानें — हर जगह पानी ही पानी है। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ बारिश का नतीजा है या फिर प्रशासनिक लापरवाही की कहानी?

बारिश आई और व्यवस्था बह गई!

बीते कुछ सालों से यह देखा जा रहा है कि कंकड़बाग में हल्की से मध्यम बारिश में भी सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। इस बार तो भारी बारिश ने हालात बदतर कर दिए हैं। सड़क पर चलते वाहन बंद हो रहे हैं, पैदल चलना मुश्किल हो गया है, और घरों में पानी घुसने की घटनाएँ भी सामने आ रही हैं।

समस्या की जड़: सफाई नहीं, योजना नहीं

स्थानीय लोगों का कहना है कि:

वार्ड नंबर 34 के निवासी बताते हैं, “हर साल यही होता है। सरकार सिर्फ वादे करती है, लेकिन बारिश आते ही सच्चाई सामने आ जाती है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, दुकानदारों का कारोबार ठप है।”

प्रशासन क्या कर रहा है?

नगर निगम की ओर से दावा किया गया है कि पंपिंग स्टेशनों को एक्टिव कर दिया गया है और जल निकासी का कार्य जारी है। लेकिन ज़मीनी हालात इससे बिल्कुल अलग हैं। सोशल मीडिया पर लोग लगातार वीडियो और फोटो साझा कर प्रशासन की नाकामी की पोल खोल रहे हैं।

समाधान क्या है?

विशेषज्ञों की मानें तो:

निष्कर्ष:

कंकड़बाग का जलजमाव अब सिर्फ एक मौसमी परेशानी नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक आपदा बन चुका है। जब तक सरकार और नगर निगम इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते, तब तक हर साल बरसात कंकड़बाग को इसी तरह डुबोती रहेगी।


📍 कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, मलाही पकड़ी सहित मुख्य प्रभावित क्षेत्र


कंकड़बाग जलजमाव: केवल बारिश नहीं, हमारी लापरवाही भी ज़िम्मेदार!

पटना के कंकड़बाग इलाके में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ जैसी स्थिति एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि यह सिर्फ मौसम की मार नहीं, बल्कि हमारी आदतों की भी देन है। नालियों में जमे पॉलीथीन, गुटखा के पैकेट, बोतल और अन्य प्लास्टिक कचरे ने जल निकासी की हर व्यवस्था को चौपट कर दिया है।

🟡 प्लास्टिक का सबसे बड़ा नुकसान:

📢 आपकी एक आदत बदल सकती है शहर का हाल:

📷 तस्वीरें सच बयां करती हैं:

स्कूल जाने वाले बच्चे घुटनों तक पानी में फंसे हैं, ई-रिक्शा धकेलते लोग… यह स्थिति केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि प्रशासन और नागरिकों की साझा लापरवाही का नतीजा है।


अब समय है जागने का। प्लास्टिक छोड़िए, जिम्मेदारी अपनाइए।

“जब नाला जाम होगा, तो घर भी पानी में डूबेगा।”

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