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बिहार का स्वाद , कैमरे की नज़र से – Foodiesamaristas

Info Bihar | Bihar Content Creators Series

बिहारी व्यंजनों की खुशबू को कैमरे में कैद करने वाले समर राज गिरी अब सिर्फ एक व्लॉगर नहीं, बल्कि बिहार के फूड कल्चर के ब्रांड एम्बेसडर बन चुके हैं। पटना की गलियों से लेकर गांव की मिट्टी तक, समर अपने वीडियो के ज़रिए दर्शकों को वो स्वाद दिखाते हैं जो किताबों में नहीं मिलता – सिर्फ तवे और तंदूर में ही पकता है।

खासियत ?
सीधे अंदाज़ में, बिना बनावट – लोकल दुकानदारों से बातचीत, बिहारी स्वाद का असली रंग, और लोगों की जुबानी कहानी।

समर राज का काम न सिर्फ युवाओं को प्रेरित करता है, बल्कि बिहार के स्ट्रीट फूड और लोकल कल्चर को दुनिया तक पहुंचाने का जिम्मा भी उठाता है।

Creator’s Intro

नाम – समर राज गिरी 

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एक छोटा सा परिचय  : – एक खाने के शौकीन , होम शेफ , रेस्टोरेंट संचालन में रुचि रखने वाले और लोगों को खाने के असली और क्रिएटिव तरीके सिखाने वाले, जो ईमानदारी और सच्चे रिव्यू के ज़रिए स्वाद की सच्चाई सामने लाते हैं।

प्रश्न : :सबसे पहले हमारे पाठकों को बताइए कि आप कौन हैं और आपने फूड व्लॉगिंग की शुरुआत कैसे की?

मेरा नाम समर है। मैं एक फ़ूडी और फ़ोटोग्राफ़र हूँ जिसे सीखना, खाना बनाना , खाना और ट्रैवल करते हुए फोटोग्राफ़ी करना बेहद पसंद है। मैं पटना और उसके आसपास की जगहों को एक्सप्लोर करता हूँ और अब बाहर जाकर और गहराई से जानकारी व अनुभव हासिल करने की उम्मीद कर रहा हूँ।

यह सब तब शुरू हुआ जब मैं पटना के कई व्लॉगर्स और रेस्टोरेंट्स के लिए मार्केटिंग ऑपरेशंस संभालता था। तभी मेरे कुछ करीबी दोस्तों ने मुझसे कहा कि मुझे खुद का एक पेज शुरू करना चाहिए। उस समय मेरी ऑडियंस से कोई कनेक्शन नहीं था, मेरे पास कोई गियर भी नहीं था, फिर भी मैंने शुरुआत की — लेकिन सिर्फ़ फ़ोटो पोस्ट करके मैंने अपने पेज को काफी हद तक ख़राब कर लिया।

आज, मेरी ईमानदार रिव्यूज़ और असली क्रिटिक्स की वजह से लोग मेरे कंटेंट और उसमें लगाई गई मेहनत को समझने और उस पर भरोसा करने लगे हैं। चाहे मैं चार्ज करूँ या नहीं, जिस प्रॉपर्टी का मैं प्रमोशन करता हूँ, उसके प्रति मेरी ज़िम्मेदारी बनती है कि मैं उसकी लोकेशन, सर्विस और डिशेज़ को सही ढंग से दिखाऊँ — लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है कि मैं अपने दर्शकों को उस प्रोडक्ट और सर्विस के बारे में सच्चाई बताऊँ। यही मेरी प्रोफेशनल ज़िम्मेदारी के साथ-साथ मेरी नैतिक मूल्य भी है।”

 प्रश्न : बचपन की कोई ऐसी याद जो खाने से जुड़ी हो और आज भी आपके साथ है?  

मैं स्कूल में कई फूड कुकिंग प्रतियोगिताओं में भाग लिया करता था। यह कक्षा 6 की बात है जब मैंने अपनी माँ के रसोई के कामों में मदद करना शुरू किया। फिर कक्षा 8 में मुझे स्कूल की “कुकिंग विदआउट फायर” प्रतियोगिता में इनाम मिला। तभी मुझे समझ में आया कि खाना बनाना सिर्फ़ एक काम नहीं, बल्कि इसका एक अलग ही मतलब और अनुभव होता है।

आज भी मुझे ऐसी रेसिपीज़ बनाना पसंद है जो दिलचस्प या कभी-कभी अजीब सी लगती हैं। आखिरकार, ये सब ज्ञान और उस ज्ञान के साथ प्रयोग करने की बात है।

प्रश्न :   आपकी प्रेरणा कौन है – किसी व्लॉगर, शेफ या फैमिली मेंबर से?  

मेरी माँ और शेफ संजीव कपूर और शेफ गॉर्डोन रामसे  और शेफ निगला — ये मेरे लिए सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। मेरी माँ के पास जो ज्ञान और खाना बनाने के लिए जो जुनून है, वो आज भी बेमिसाल है। लेकिन ‘खाना खजाना’ शो और Nigela Kitchen ( A Series ) और TLC ( TV Channel) ने मुझे सिर्फ़ खाना बनाना ही नहीं सिखाया, बल्कि यह भी सिखाया कि मेरे अंदर जो हुनर है, उसे दुनिया के सामने कैसे लाया जाए।

प्रश्न : आप एक दिन में कितने घंटे कंटेंट क्रिएशन को देते हैं?

एक वीडियो तैयार करने में मुझे कम से कम 3-4 घंटे लगते हैं, क्योंकि मैं प्रामाणिकता (Authenticity), क्रिएटिविटी, स्वाद (Taste), प्रयोग (Experimentation), प्रजेंटेशन और सर्विस — इन सभी पहलुओं पर ध्यान देता हूँ, साथ ही ये भी सुनिश्चित करता हूँ कि हर चीज़ पूरी तरह से हाइजेनिक हो।

अधिकतर समय मैं किचन के अंदर ही रहता हूँ जब तक कि मेरा वीडियो फाइनल न हो जाए। वहीं, एक बेसिक वीडियो को एडिट करने में भी कम से कम 2-3 घंटे लगते हैं।

कुल मिलाकर कहा जाए तो एक वीडियो पर लगभग 6 घंटे का समय लग ही जाता है।

प्रश्न :  क्या बिहारी स्ट्रीट फूड को कवर करना आसान है या मुश्किल? क्यों?  

दूसरे राज्यों की तुलना में स्ट्रीट फूड शूट करना बिहार, खासकर पटना में काफ़ी आसान होता है, क्योंकि यहाँ के लोग बेहद उत्साही होते हैं। साथ ही, एक खास बात ये भी है कि यहाँ लोग दूसरे राज्यों की डिशेज़ को भी रीक्रिएट करते हैं, जो एक पॉजिटिव पॉइंट है।

लेकिन मेरे लिए जो चीज़ थोड़ी मुश्किल और निराशाजनक है, वो है वैरायटी की कमी। खाने में विविधता का अभाव मुझे व्यक्तिगत रूप से थोड़ा खलता है।

प्रश्न : आपने अब तक का सबसे बेहतरीन और सबसे खराब खाना किस जगह खाया?

अगर मैं किसी एक जगह का खाना सबसे ज़्यादा रिकमेंड करना चाहूँ, तो वो होगा तक्षशिला, जो चाणक्य का एक हिस्सा है। उनका चिकन मर्करी असल में उनकी खुद की इन्वेंशन है, और मैं लंबे समय से इस डिश की तैयारी की प्रक्रिया को दिखाने का इंतज़ार कर रहा हूँ — अगर कभी मुझे मौका मिले तो ज़रूर उसे प्रेज़ेंट करना चाहूँगा।

वहीं दूसरी ओर, बोरिंग रोड का गोल्डन फ्लेवर्स मेरे लिए अब तक का सबसे खराब अनुभव रहा — न स्वाद में कोई दम था, न ही सर्विस में।

प्रश्न : क्या कभी किसी ने आपके रिव्यू से नाराज़गी जताई है? आपने कैसे संभाला?

ऐसा अक्सर होता है। ये एक कड़वी लेकिन सच्ची बात है कि जब कोई मेरी पहचान के चलते किसी जगह पर जाता हूँ, तो वहाँ की टीम अपनी तरफ़ से सबसे बेहतरीन तैयारी और सर्विस देती है। लेकिन आम ग्राहकों के लिए वही जोश और क्वालिटी अक्सर नज़र नहीं आती।

इसलिए ये ज़रूरी है कि लोग ये समझें — जब मैं किसी जगह को “ज़रूर ट्राय करें” कहता हूँ, तब ही मैं उस पर पूरी तरह भरोसा करता हूँ। अगर मैं किसी जगह के बारे में कुछ खास नहीं कहता, तो समझिए कि मैं चाहता हूँ आप वहाँ खुद जाएँ, और महसूस करें कि वो अनुभव आपके लिए क्या मायने रखता है

साथ ही, अगर किसी जगह पर कोई अनुभव निराशाजनक होता है, तो मैं हमेशा पहले उस स्थिति को स्पष्ट करने और समझने की कोशिश करता हूँ — ताकि बात एकतरफ़ा न रहे और न्यायसंगत फीडबैक दिया जा सके।

प्रश्न : आपकी नज़र में एक अच्छा फूड व्लॉगर बनने के लिए कौन-कौन सी बातें ज़रूरी हैं?

ज्ञान (Knowledge), विकसित स्वाद (Developed Palate) और दर्शकों की सोच (Audience Perception) — ये तीनों किसी भी फूड क्रिएटर या क्रिटिक के लिए सबसे ज़रूरी आधार हैं।

प्रश्न : सोशल मीडिया पर ट्रोल्स से कैसे निपटते हैं?

अज्ञानता (Ignorance) — यही सबसे बड़ा कारण है।

कई बार लोग सिर्फ इसलिए आलोचना कर देते हैं क्योंकि या तो उनके पास करने को कुछ खास नहीं होता, यानी वे बेहद फुर्सत में होते हैं, या फिर उनका नजरिया ही संकुचित और सतही होता है।

ऐसे लोग न तो आपके काम की गहराई को समझते हैं, न उस मेहनत और समय को जो किसी कंटेंट के पीछे लगता है। इसलिए मैं मानता हूँ कि ऐसे कमज़ोर दृष्टिकोण वाले लोगों की बातों को दिल पर लेना नहीं चाहिए — बल्कि उनसे सीख लेकर और ज़्यादा निखरना चाहिए।

प्रश्न : क्या आप कोई रेस्टोरेंट खोलने की सोच रहे हैं या फिर कोई किताब/सीरीज़?

निश्चित रूप से, मैं अपना खुद का रेस्टोरेंट खोलने का सपना रखता हूँ।

लेकिन जहां तक बात है सीरीज़ और एपिसोड्स लॉन्च करने की — तो उसके लिए एक प्रोडक्शन हाउस की ज़रूरत होती है, जिसका मैं अभी इंतज़ार कर रहा हूँ।

मैं चाहता हूँ कि जब ये सफर शुरू हो, तो वो पूरी तरह प्रोफेशनल, गुणवत्ता से भरपूर और दर्शकों के लिए एक नया अनुभव लेकर आए।

प्रश्न : भविष्य में आप किस शहर या राज्य के फूड को एक्सप्लोर करना चाहते हैं?

मेरी ख्वाहिश है कि मैं भारत के हर कोने की यात्रा करूँ — हर राज्य, हर संस्कृति, हर स्वाद को नज़दीक से समझूँ।

इसके बाद मेरा सपना है कि मैं दुनिया के चरम हिस्सों तक भी जाऊँ — वो जगहें जो आमतौर पर कम देखी या समझी जाती हैं।

हर सफर मेरे लिए सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि ज्ञान, स्वाद और अनुभवों की खोज है।

प्रश्न : बिहार के खाने को आप एक लाइन में कैसे परिभाषित करेंगे?

अगर एक लाइन में कहूँ तो — “सुकून और प्यार से भरा एक ऐसा एहसास, जो हर निवाले में अपनी मिट्टी की प्यार भरी एहसास छोड़ जाए।”

प्रश्न : बिहार में ऐसी कौन सी जगह है जहाँ आप अभी तक शूट नहीं कर पाए और करना चाहते हैं ? 

चंपारण का इलाका — अब तक वहाँ शूट नहीं कर पाया हूँ, लेकिन बेहद इच्छा है जाने की। वहाँ की खास कुकिंग स्टाइल और परंपरागत स्वाद कुछ अलग ही हैं, जिन्हें एक्सप्लोर करना मैं ज़रूर चाहूँगा।

प्रश्न : अगर एक दिन के लिए आपको बिहार टूरिज्म का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया जाए – तो आप क्या बदलना चाहेंगे?

अगर एक दिन के लिए मुझे बिहार टूरिज़्म का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया जाए, तो मैं सबसे पहले इस काम को एक बड़े और दीर्घकालिक विकास के रूप में लूँगा — जिसकी शुरुआत होगी हमारे स्ट्रीट फूड विक्रेताओं (हॉकर्स) के बढ़ते स्वरूप को एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम में लाने से।

हमें उन्हें उचित जगहें प्रदान करनी होंगी, ताकि शहर की सुंदरता और सफाई दोनों बनी रहे। जो लोग गलियों में फूड बेचते हैं, उन्हें रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से जोड़ना ज़रूरी है, ताकि ट्रैकिंग और क्वालिटी कंट्रोल संभव हो सके।

साथ ही, बिहार टूरिज़्म डिपार्टमेंट अब तक कई विभागों के साथ मिलकर काम करता आया है, लेकिन अक्सर बैकएंड रोल में ही रहता है। मेरा मानना है कि इस विभाग को एक सशक्त और नेतृत्वकारी भूमिका में आना चाहिए।

सबसे ज़रूरी बदलाव जो मैं लाना चाहूँगा, वो है:
हर टूरिस्ट — चाहे वो बाहर से आया हो या राज्य के भीतर से — उसे एक सुरक्षित, स्वच्छ और आनंददायक अनुभव मिले।

खुशी की बात ये है कि अभय सर और मुकुंद सर जैसे लीडर्स इस दिशा में पहले से काम कर रहे हैं। वे मेरे और दूसरे इंफ्लुएंसर्स के साथ बैठकर जड़ से समस्याओं को समझने की कोशिश करते हैं — और यही बिहार के उज्जवल पर्यटन भविष्य की नींव है।

“बिहार के स्वाद को दुनिया तक पहुँचाने वाले ऐसे क्रिएटर्स को Info Bihar सलाम करता है। हम उम्मीद करते हैं कि समर राज गिरी जैसे युवा और भी लोगों को अपने ज़ायके से जोड़ते रहेंगे — ये सफर स्वाद से पहचान तक का है!”

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