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राज्य की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अब मात्र 100 रुपये शुल्क

बिहार सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के लाखों युवाओं को बड़ी राहत दी है। अब से राज्य की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन शुल्क मात्र 100 रुपये कर दिया गया है। यह निर्णय बुधवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसके बाद प्रतियोगी छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई है।

मुख्य परीक्षा के लिए कोई शुल्क नहीं

सरकार ने न केवल प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) का शुल्क घटाया है, बल्कि मुख्य परीक्षा (Mains) के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। यानी, जो भी उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा पास करेंगे, उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन करने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा। इससे गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले लाखों युवाओं पर आर्थिक बोझ कम होगा।

अब तक लगता था भारी शुल्क

अब तक प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उम्मीदवारों को अलग-अलग स्तर पर भारी शुल्क देना पड़ता था। सामान्य वर्ग के लिए शुल्क 600 से 750 रुपये तक, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए भी 150 से 300 रुपये तक लिया जाता था। ऐसे में बार-बार परीक्षाओं में आवेदन करना छात्रों के लिए आर्थिक रूप से भारी पड़ता था। सरकार का यह नया निर्णय निश्चित रूप से प्रतियोगी छात्रों के लिए बड़ी सौगात है।

महिलाओं और आरक्षित वर्ग को विशेष लाभ

बिहार सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और दिव्यांग उम्मीदवारों को अब केवल 100 रुपये देकर ही सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में आवेदन का मौका मिलेगा। इससे सामाजिक न्याय की दिशा में भी बड़ा संदेश गया है।

शिक्षक पुरस्कार के लिए मिले 30 हजार रुपये

कैबिनेट बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। अब उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को राज्य सरकार की ओर से 30 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। पहले यह राशि 15 हजार रुपये थी, जिसे अब दोगुना कर दिया गया है। सरकार का मानना है कि शिक्षक समाज निर्माण की आधारशिला हैं और उनके प्रोत्साहन के बिना शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना संभव नहीं है।

अन्य फैसले

बैठक में शिक्षा विभाग से जुड़े अन्य कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई। सरकार ने यह साफ किया कि परीक्षा प्रक्रिया को और पारदर्शी और सुलभ बनाया जाएगा। ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया को और आसान किया जाएगा ताकि गांव-देहात के विद्यार्थी भी बिना किसी बाधा के आवेदन कर सकें।

छात्रों की प्रतिक्रिया

फैसले के बाद पटना और अन्य जिलों में प्रतियोगी छात्रों ने इसे ‘ऐतिहासिक कदम’ बताया। छात्रों का कहना है कि पहले केवल आवेदन शुल्क ही उनके बजट पर भारी पड़ जाता था, लेकिन अब वे कई परीक्षाओं में निःसंकोच आवेदन कर पाएंगे। इससे प्रतिभाशाली युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने का अधिक अवसर मिलेगा।

निष्कर्ष

बिहार सरकार का यह कदम युवाओं को सशक्त बनाने और प्रतियोगी परीक्षाओं को अधिक समावेशी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। मात्र 100 रुपये शुल्क और मुख्य परीक्षा में शून्य शुल्क जैसी सुविधा देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल है। इसके साथ ही, शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार राशि बढ़ाना शिक्षा जगत को और सुदृढ़ करेगा। कुल मिलाकर यह निर्णय न केवल युवाओं बल्कि राज्य के विकास के लिए भी एक बड़ा कदम है।

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