पटना। बिहार की सियासत में अब चुनावी रणभेरी बज चुकी है। सोमवार को भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों की औपचारिक घोषणा कर दी। आयोग ने बताया कि इस बार चुनाव दो चरणों में होंगे — पहला चरण 6 नवंबर 2025 को और दूसरा चरण 11 नवंबर 2025 को। वहीं, मतगणना 14 नवंबर 2025 को होगी।
इस घोषणा के साथ ही बिहार में आचार संहिता (Model Code of Conduct) तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। राज्य की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है, इसलिए यह चुनाव उसी से पहले कराना संवैधानिक रूप से आवश्यक था।
📅 चुनाव कार्यक्रम (Election Schedule at a Glance)
चरण | तिथि | विधानसभा सीटें | मतदान दिवस |
---|---|---|---|
पहला चरण | 6 नवंबर 2025 | 121 सीटें | गुरुवार |
दूसरा चरण | 11 नवंबर 2025 | 122 सीटें | मंगलवार |
मतगणना | 14 नवंबर 2025 | सभी 243 सीटें | शुक्रवार |
इस बार चुनाव आयोग ने 243 सीटों को दो हिस्सों में बांटते हुए संतुलित तरीके से मतदान कार्यक्रम तैयार किया है ताकि प्रशासन, सुरक्षा और मतदाता सुविधा सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जा सके।
मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“बिहार में निष्पक्ष, पारदर्शी और शांतिपूर्ण चुनाव कराना आयोग की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं और राज्य के हर मतदाता को मतदान का समान अवसर मिलेगा।”
🧩 चरणवार मतदान का विवरण
पहले चरण (6 नवंबर) में 121 सीटों पर मतदान होंगे। इनमें वे क्षेत्र शामिल हैं जो बाढ़ प्रभावित या ग्रामीण इलाकों में अधिक फैले हुए हैं, ताकि मौसम की स्थिति मतदान को प्रभावित न करे।
दूसरे चरण (11 नवंबर) में 122 सीटों पर मतदान होगा। यह चरण शहरी और दक्षिणी बिहार के जिलों को कवर करेगा, जिनमें पटना, गया, नालंदा, भागलपुर, और दरभंगा जैसे बड़े जिले शामिल हैं।
आयोग का कहना है कि इस बार प्रत्येक बूथ पर औसतन मतदाताओं की संख्या घटाकर 1,000 से कम रखी गई है ताकि भीड़भाड़ न हो और मतदाताओं को बेहतर सुविधा मिल सके।
🛡️ आचार संहिता लागू और सुरक्षा व्यवस्था
चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट पूरे राज्य में लागू हो गया है। इसका मतलब यह है कि अब कोई भी नई सरकारी योजना, बजट घोषणा, या पदोन्नति जैसी गतिविधि बिना निर्वाचन आयोग की अनुमति के नहीं हो सकेगी।
सुरक्षा के लिहाज से इस बार चुनाव आयोग ने विशेष रणनीति तैयार की है।
- केंद्रीय बलों (CAPFs) की लगभग 1000 कंपनियाँ बिहार भेजी जाएंगी।
- संवेदनशील और अति-संवेदनशील बूथों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी।
- हर मतदान केंद्र पर वेबकैम निगरानी और लाइव वीडियो ट्रांसमिशन की व्यवस्था की जाएगी।
- सभी जिलों में चुनाव पर्यवेक्षक (Election Observers) की तैनाती की जाएगी, जो सीधे मुख्यालय को रिपोर्ट भेजेंगे।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि इस बार का चुनाव “डिजिटल और पारदर्शी” दोनों होगा।
📊 मतदाता सूची: आंकड़ों का बड़ा बदलाव
इस बार चुनाव से पहले बिहार में विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) के तहत मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया गया।
- 7.42 करोड़ मतदाता अब राज्य की अंतिम मतदाता सूची में शामिल हैं।
- संशोधन के दौरान लगभग 68 लाख नाम हटाए गए, जिनमें मृतक या डुप्लिकेट रिकॉर्ड पाए गए।
- विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाया और कहा कि कई असली मतदाताओं के नाम भी गलत तरीके से हटाए गए हैं।
आयोग ने कहा कि “किसी भी पात्र मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया गया है; हर हटाए गए नाम के लिए नोटिस जारी किया गया था और अपील प्रक्रिया अभी भी खुली है।”
यह भी उल्लेखनीय है कि इस बार 18 से 19 वर्ष के नए मतदाताओं की संख्या 9.5 लाख से अधिक है — यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
🧾 निर्वाचन आयोग की नई पहलें
चुनाव आयोग ने इस बार कई तकनीकी और पारदर्शिता संबंधी नवाचार पेश किए हैं:
- ‘Voter Helpline App’ के ज़रिए मतदाता अपने मतदान केंद्र, पहचान पत्र और शिकायतों की जानकारी पा सकेंगे।
- ‘cVIGIL App’ के माध्यम से कोई भी नागरिक आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत कर सकेगा।
- हर मतदान केंद्र पर QR कोड आधारित सूचना बोर्ड लगाया जाएगा।
- पहली बार मोबाइल डिपॉजिट सुविधा की घोषणा की गई है, जिससे चुनाव कर्मी और सुरक्षा बलों के लिए लॉजिस्टिक्स आसान होंगे।
- दिव्यांग मतदाताओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर से मतदान (postal ballot) की सुविधा जारी रहेगी।
⚖️ बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति
बिहार में इस समय जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सत्ता में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक कई बार राजनीतिक समीकरण बदले हैं, और इस बार भी वह केंद्र सरकार के साथ मिलकर “दोहरे इंजन” सरकार का प्रचार कर रहे हैं।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव और महागठबंधन (INDIA Bloc) विपक्ष के मुख्य चेहरे हैं। वे इस चुनाव को बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर लड़ने की तैयारी में हैं।
प्रशांत किशोर (PK) की नई पार्टी जन सुराज भी पूरे राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है। उनके सक्रिय अभियान के चलते इस बार चुनाव तीन-कोणीय मुकाबले में बदलने की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2025 का बिहार चुनाव “सबसे रोचक मुकाबलों में से एक” साबित होगा।
💬 प्रमुख चुनावी मुद्दे
बिहार के मतदाताओं के लिए इस बार कई बड़े मुद्दे चर्चा में हैं:
- बेरोजगारी और युवाओं का पलायन: बड़ी संख्या में बिहार के युवा रोज़गार की तलाश में बाहर जाते हैं।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति अब भी संतोषजनक नहीं।
- कृषि और सिंचाई: किसान वर्ग बिजली, बीज और पानी की समस्याओं से जूझ रहा है।
- महिलाओं की सुरक्षा: हाल के महीनों में महिला अपराधों में वृद्धि ने चिंता बढ़ाई है।
- भ्रष्टाचार और सुशासन: भ्रष्टाचार के आरोपों पर जनता का मूड निर्णायक हो सकता है।
- जातिगत समीकरण: बिहार की राजनीति में जाति अभी भी बड़ा फैक्टर है — यादव, कुर्मी, भूमिहार, दलित और मुसलमान वोट बैंक निर्णायक रहेंगे।
🧮 पिछली बार का जनादेश (2020 का परिणाम संक्षेप में)
पार्टी | सीटें (2020) | वोट शेयर |
---|---|---|
भाजपा | 74 | 19.5% |
जदयू | 43 | 15.4% |
आरजेडी | 75 | 23.1% |
कांग्रेस | 19 | 9.5% |
अन्य | 32 | — |
2020 में NDA को मामूली बहुमत (125 सीटें) मिली थीं, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें। यही वजह है कि 2025 का चुनाव दोनों गठबंधनों के लिए “अस्तित्व की लड़ाई” बन गया है।
🌍 मतदाता रुझान और माहौल
हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार, बिहार में मतदाता इस बार मुद्दों पर अधिक संवेदनशील दिख रहे हैं।
- युवा वर्ग रोजगार और शिक्षा पर ध्यान दे रहा है।
- महिलाएं सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को लेकर सजग हैं।
- ग्रामीण इलाकों में बिजली, सड़क और स्वास्थ्य प्रमुख चिंता के विषय हैं।
चुनाव पर्यवेक्षक यह भी मानते हैं कि इस बार सोशल मीडिया प्रचार का प्रभाव निर्णायक हो सकता है।
📺 डिजिटल चुनाव की ओर कदम
चुनाव आयोग ने 2025 के चुनाव को “डिजिटल इलेक्शन मॉडल” के रूप में पेश किया है।
- सभी उम्मीदवारों को ऑनलाइन नामांकन की सुविधा दी जाएगी।
- ई-वोटर कार्ड (EPIC) डाउनलोड करना अब आसान होगा।
- पोलिंग बूथों पर डिजिटल स्लिप चेकिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है।
- मतदाता जागरूकता के लिए #VoteForBihar2025 अभियान चलेगा।
⚖️ विवाद और चुनौतियाँ
हालांकि तारीखों की घोषणा ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, लेकिन इसके साथ कुछ विवाद भी उठ खड़े हुए हैं —
- विपक्ष ने मतदाता सूची से नाम हटाने पर सवाल उठाए हैं।
- कुछ दलों ने कहा कि दो चरणों में मतदान कराने से प्रशासनिक पक्षपात की गुंजाइश बढ़ेगी।
- मौसम और त्योहारों के कारण मतदान प्रतिशत प्रभावित होने की भी आशंका जताई गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि “हर आरोप और चिंता पर ध्यान दिया जा रहा है, और हर निर्णय निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत लिया गया है।”
🔔 निष्कर्ष: लोकतंत्र की परीक्षा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ एक राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की परीक्षा भी है।
यह चुनाव तय करेगा कि जनता विकास और पारदर्शिता को चुनती है या परंपरागत राजनीति को।
6 और 11 नवंबर को जब करोड़ों लोग वोट डालने निकलेंगे, तब सिर्फ सरकार नहीं, बल्कि बिहार का भविष्य तय होगा।
और जब 14 नवंबर को परिणाम आएंगे, तो यह पता चलेगा कि बिहार की जनता ने किसे अपना अगला नेता चुना — नीतीश कुमार का अनुभव, तेजस्वी यादव का युवा जोश, या प्रशांत किशोर का नया विजन।