✍️ By Info Bihar Desk
बिहार में जमीन से जुड़े घोटालों और दाखिल-खारिज की अनियमितताओं पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। इस बार मामला मुजफ्फरपुर जिले के कांटी प्रखंड से जुड़ा है, जहां कृषि विभाग की जमीन की अवैध बिक्री में कांटी CO (Circle Officer) रिषिका का नाम सामने आया। पूरे मामले की जांच के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बुधवार को उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया।
इस कार्रवाई ने न सिर्फ प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि जमीन घोटालों पर सरकार की सख्ती भी साफ दिख रही है।
🛑 मामला क्या है?
जानकारी के अनुसार, कांटी अंचल के कांटी कस्बा मौजा में कृषि विभाग की कुल 22.77 एकड़ जमीन खतियान में दर्ज है। इस भूमि पर वर्षों से कृषि विभाग की ओर से राजकीय बीज गुणन प्रक्षेत्र के तहत खेती होती रही है।
इसी जमीन में से 44 डिसमिल (करीब 11 कट्ठा) हिस्सा विवादों में आ गया। आश्चर्यजनक रूप से यह जमीन 5 नवंबर 2024 को जिला अवर निबंधन कार्यालय में निजी नाम से रजिस्ट्री कर दी गई।
इसके बाद सीतामढ़ी निवासी नवीन कुमार ने यह जमीन मोतीपुर निवासी दीपक कुमार और कांटी निवासी गौरव कुमार को बेच दी। बाद में दाखिल-खारिज (Mutation) की प्रक्रिया के लिए कांटी अंचल कार्यालय में आवेदन किया गया।
🚨 कृषि विभाग की आपत्ति भी नज़रअंदाज़
इस दौरान कृषि विभाग ने सीओ को लिखित आपत्ति भी दी। राजस्व कर्मचारी ने जांच की और अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा कि यह कृषि विभाग की जमीन है, इसे निजी नाम से दाखिल-खारिज नहीं किया जा सकता।
इसके बावजूद कांटी सीओ रिषिका ने इस जमीन की जमाबंदी करा दी। यह पूरा खेल जमीन के बड़े घोटाले की तरफ इशारा करता है।
⚡ उप मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत
जैसे ही यह मामला तूल पकड़ा, उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इसका संज्ञान लिया। उन्होंने मुजफ्फरपुर डीएम को जांच कमेटी गठित करने का निर्देश दिया।
जांच रिपोर्ट में साफ हुआ कि कांटी सीओ ने न केवल गंभीर अनियमितताएं की हैं, बल्कि जानबूझकर कृषि विभाग की जमीन को निजी नाम से दाखिल-खारिज कराया।
⛔ सीओ सस्पेंड, मुख्यालय बदला
जांच रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा। सीओ ने जवाब दिया लेकिन इसे असंतोषजनक माना गया। इसके बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित (Suspended) कर दिया गया।
निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय तिरहुत प्रमंडल आयुक्त का कार्यालय तय किया गया है।
इसके अलावा उनके ऊपर दाखिल-खारिज, परिमार्जन आवेदनों के निष्पादन, एलपीसी निर्गत करने, अभियान बसेरा-2 और आधार सीडिंग जैसे कार्यों में भी लापरवाही बरतने का आरोप है।
🗣 डीएम का सख्त संदेश
मुजफ्फरपुर के डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा –
“जनता से जुड़े मामलों में कोताही किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जमीन से जुड़े मामलों में जो भी अधिकारी या कर्मचारी लापरवाही करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
डीएम ने खुद सरकार को रिपोर्ट भेजकर कांटी सीओ पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
🔥 अब जमाबंदी होगी रद्द
प्रशासन ने साफ किया है कि कृषि विभाग की इस जमीन पर की गई जमाबंदी को अब रद्द (Cancel) किया जाएगा।
अपर समाहर्ता के स्तर से इसकी जांच कर जमाबंदी को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
📌 क्यों बढ़ रही हैं जमीन से जुड़ी गड़बड़ियां?
बिहार में जमीन विवाद और दाखिल-खारिज से जुड़ी समस्याएं सबसे बड़ी प्रशासनिक चुनौती बन चुकी हैं। कई मामलों में सरकारी जमीन, चरागाह या विभागीय भूमि को निजी नाम से बेचने और जमाबंदी कराने के मामले सामने आते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि:
- डिजिटल रिकॉर्ड के बावजूद पुराने खतियान और राजस्व अभिलेखों में गड़बड़ियां हैं।
- राजस्व कर्मियों और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर भी अवैध कब्जा और बिक्री होती है।
- उच्चस्तरीय निगरानी की कमी के कारण ऐसे मामले बार-बार सामने आते हैं।
📢 जनता में भरोसा और सवाल
कांटी सीओ के निलंबन की खबर के बाद स्थानीय लोगों में राहत की भावना है। वे मानते हैं कि अब जमीन के मामलों में सरकार और प्रशासन ज्यादा सख्त हो रहा है।
हालांकि, सवाल भी उठ रहा है कि जब राजस्व कर्मचारी ने रिपोर्ट दी थी, तब भी सीओ ने क्यों अनदेखी की? क्या इसके पीछे और बड़े स्तर पर गिरोह सक्रिय है?
✅ निष्कर्ष
कांटी सीओ का सस्पेंशन दिखाता है कि बिहार सरकार अब जमीन से जुड़े मामलों में किसी तरह की लापरवाही या भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी।
लेकिन, इस घटना ने यह भी साबित किया है कि अभी भी बिहार में जमीन और दाखिल-खारिज का खेल पूरी तरह साफ नहीं हुआ है। जब तक प्रशासनिक सख्ती और पारदर्शिता नहीं आएगी, ऐसे मामले सामने आते रहेंगे।