पटना, 27 अगस्त 2025 – राजधानी पटना से एक सनसनीखेज घटना सामने आई है। बुधवार को गर्दनीबाग थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित कन्या मध्य विद्यालय के बाथरूम में एक नाबालिग छात्रा ने स्वयं को आग लगा ली। घटना की जानकारी मिलते ही स्कूल प्रशासन और स्थानीय लोगों में अफरातफरी मच गई। छात्रा को गंभीर स्थिति में इलाज के लिए तत्काल पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (PMCH) ले जाया गया।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही गर्दनीबाग थाना पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची। पुलिस ने विद्यालय परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित की और घटनास्थल का मुआयना किया। छात्रा को बचाकर अस्पताल भेजा गया।
इस संबंध में नगर पुलिस अधीक्षक (मध्य), पटना, सुश्री दीक्षा ने प्रेस को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि –
“प्राथमिक स्तर पर जांच की जा रही है। छात्रा के बयान और उसके परिवार से बातचीत के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। फिलहाल छात्रा का इलाज PMCH में चल रहा है। हम हर एंगल से मामले की जांच कर रहे हैं।”
छात्रा की स्थिति
PMCH सूत्रों के अनुसार, छात्रा को झुलसने से गंभीर चोटें आई हैं। डॉक्टरों की एक टीम उसका इलाज कर रही है। फिलहाल उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि आवश्यक चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं और डॉक्टर लगातार निगरानी में हैं।
घटना से उठे सवाल
इस दर्दनाक घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—
- आखिर क्यों एक नाबालिग छात्रा ने इतना बड़ा कदम उठाया?
 - विद्यालय में मनोवैज्ञानिक परामर्श की व्यवस्था क्यों नहीं होती?
 - क्या विद्यालय प्रशासन ने समय रहते कोई संकेत देखा या अनदेखा कर दिया?
 - विद्यालय परिसर में सुरक्षा और निगरानी कितनी मजबूत है?
 
विद्यालयों में मानसिक स्वास्थ्य का संकट
विशेषज्ञों का मानना है कि आज के समय में बच्चों पर शैक्षणिक दबाव, पारिवारिक समस्याएँ, सामाजिक असमानता और मानसिक तनाव तेजी से बढ़ रहे हैं। कई बार बच्चे अपनी समस्याएँ घर या स्कूल में साझा नहीं कर पाते और तनाव के चलते खतरनाक कदम उठा लेते हैं।
भारत में National Crime Records Bureau (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या की प्रवृत्ति में किशोरों का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में स्कूलों में काउंसलिंग, हेल्पलाइन नंबर और सुरक्षित माहौल की सख्त आवश्यकता है।
प्रशासनिक और सामाजिक जिम्मेदारी
गर्दनीबाग की इस घटना ने प्रशासन को भी चेतावनी दी है। विद्यालय परिसर में छात्रों की सुरक्षा के लिए—
- CCTV कैमरे
 - महिला सुरक्षा गार्ड
 - काउंसलर की नियुक्ति
 - नियमित मानसिक स्वास्थ्य सत्र
 
जैसी व्यवस्थाओं को मजबूत करना अनिवार्य है।
इसके साथ ही अभिभावकों और शिक्षकों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उन्हें बच्चों के व्यवहार और मानसिक स्थिति पर नजर रखनी होगी। यदि बच्चा तनावग्रस्त दिखाई दे तो उसे समय पर भावनात्मक सहयोग और सही मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए।
जनाक्रोश और सामाजिक प्रतिक्रिया
घटना की खबर फैलते ही स्थानीय लोगों में रोष और चिंता व्याप्त हो गई। अभिभावकों ने विद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। कई लोगों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में सुरक्षा और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता।
सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर बड़ी संख्या में प्रतिक्रियाएँ आईं। लोगों ने मांग की कि सरकार को विद्यालयों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अलग से बजट और योजनाएँ बनानी चाहिए।
पुलिस जांच और आगे की कार्रवाई
फिलहाल पुलिस इस मामले को संवेदनशील और प्राथमिकता के तौर पर देख रही है।
- छात्रा के बयान दर्ज किए जाएंगे (स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद)।
 - विद्यालय प्रशासन और शिक्षकों से पूछताछ होगी।
 - परिवारिक परिस्थितियों और पृष्ठभूमि की भी जांच की जा रही है।
 
नगर पुलिस अधीक्षक (मध्य) ने स्पष्ट किया है कि “यदि विद्यालय प्रशासन की कोई लापरवाही पाई गई तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी।”
भविष्य की राह
यह घटना केवल एक आपराधिक या दुर्घटनात्मक घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे शिक्षा तंत्र और समाज के सामने गंभीर सवाल रखती है। यदि बच्चों को समय रहते सुनने, समझने और मदद करने का अवसर दिया जाए, तो शायद इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है।
विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि—
- सभी स्कूलों में नियमित काउंसलिंग सेशन अनिवार्य किए जाएं।
 - बच्चों को तनाव प्रबंधन और जीवन कौशल शिक्षा दी जाए।
 - विद्यालय परिसर में महिला पुलिस या सुरक्षा स्टाफ की तैनाती हो।
 - प्रत्येक विद्यालय में आपातकालीन हेल्पलाइन और प्रोटोकॉल बनाया जाए।
 
निष्कर्ष
पटना के गर्दनीबाग थाना क्षेत्र का यह मामला न केवल प्रशासन और विद्यालय व्यवस्था की परीक्षा है, बल्कि यह हम सबको सोचने पर मजबूर करता है कि क्यों हमारे बच्चे इस तरह के खतरनाक कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं।
सरकार, समाज, अभिभावक और शिक्षक—सभी को मिलकर बच्चों के लिए एक सुरक्षित, स्वस्थ और भावनात्मक रूप से सहयोगी वातावरण बनाना होगा। तभी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकता है।
कन्या मध्य विद्यालय, पटना की नाबालिग छात्रा जिसने विद्यालय परिसर में स्वयं को आग लगा ली थी, उसकी इलाज के क्रम में PMCH में मृत्यु हो गई है। घटना के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। पुलिस ने पूरे मामले की जांच तेज कर दी है और विद्यालय प्रशासन व परिजनों से पूछताछ की जा रही है। यह दर्दनाक घटना विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा व मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
