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PATNA में मासूम ‘रूद्र’ की रहस्यमयी मौत : हादसा या साजिश? परिजनों की गुहार से उठे कई सवाल

पटना के कुर्जी इलाके में घटित एक दर्दनाक और रहस्यमयी घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। महज 11 साल के मासूम छात्र रूद्र की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत आज भी अनसुलझी पहेली बनी हुई है। परिवार का कहना है कि यह कोई साधारण हादसा नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश है। इकलौते बेटे को खोने के बाद माता-पिता सदमे और भय में पटना छोड़ चुके हैं। वहीं, बिहार पुलिस मामले की जांच में जुटी है लेकिन अब तक किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है।


कौन था मासूम रूद्र?

रूद्र, उम्र मात्र 11 वर्ष, DAV पाटलिपुत्रा स्कूल में कक्षा पाँचवीं का छात्र था। पढ़ाई में होनहार और स्वभाव से सरल रूद्र परिवार की जान था। पिता रंजीत कुमार और मां जूली कुमारी पिछले 10 वर्षों से बलदेव सिंह रोड नंबर-2, कुर्जी में किराए के मकान में रहते थे। रूद्र उनका इकलौता बेटा था, जिसकी मौत ने उनके पूरे परिवार की दुनिया उजाड़ दी है।


घटना का दिन: 23 अगस्त की दोपहर

23 अगस्त की दोपहर हमेशा की तरह रूद्र ऑटो से स्कूल से घर लौट रहा था।

जब पिता दौड़कर बाहर निकले तो देखा कि उनका बेटा खून से लथपथ ज़मीन पर पड़ा है। तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


संदिग्ध हालात: छत पर मिला बैग

घटना के बाद एक और बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ। जब परिजन घर लौटे तो देखा कि रूद्र का स्कूल बैग छत पर पड़ा था। सवाल ये है कि अगर बच्चा ऑटो से घर आ रहा था, तो बैग छत पर कैसे पहुंचा? क्या कोई उसे जबरन ऊपर ले गया था? या फिर उसे धक्का दिया गया? इन सभी सवालों ने इस केस को और रहस्यमयी बना दिया।


पुलिस जांच और FIR दर्ज

घटना के बाद रंजीत कुमार ने दीघा थाना में लिखित आवेदन दिया।


माता-पिता का डर और दर्द

अपने इकलौते बेटे की असमय मौत से टूट चुके माता-पिता पटना छोड़ चुके हैं।

जूली कुमारी का कहना है –
“मेरे बेटे को ना तो मोबाइल की लत थी, ना ही किसी तरह की गलत आदत। वह रोज स्कूल से आकर सीधे घर आता था। उस दिन वह छत पर कैसे पहुंचा, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा।”


डीजीपी से लगायी मदद की गुहार

थक-हारकर मृतक की मां ने बिहार के डीजीपी को पत्र लिखकर मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।


पुलिस का पक्ष

जांच अधिकारी ASI अविनाश कुमार के अनुसार –


समाज और सवाल

इस घटना ने न केवल एक परिवार की खुशियां छीन लीं, बल्कि शहरवासियों को भी असमंजस में डाल दिया है।

ये सारे सवाल आज भी अनुत्तरित हैं।


निष्कर्ष

रूद्र की मौत केवल एक परिवार की व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह बिहार की कानून-व्यवस्था और न्याय व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है। यदि एक मासूम की मौत रहस्यमयी तरीके से होती है और परिवार को न्याय पाने के लिए दर-दर भटकना पड़े, तो यह समाज और व्यवस्था दोनों के लिए चिंता का विषय है।

रूद्र की मां का दर्द साफ झलकता है – “मेरे बेटे को इंसाफ दिलाइए, वरना उसका बलिदान व्यर्थ चला जाएगा।”

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