तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में हाल ही में हुए एक बड़े पेड़ों और जंगल की कटाई के मामले ने पर्यावरण प्रेमियों और आम जनता को झकझोर कर रख दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, शहरी विकास और सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं के नाम पर सैकड़ों पुराने और हरे-भरे पेड़ों को काटा गया है।
स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कटाई बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया और जन-सुनवाई के की गई है। खासतौर पर शहर के बाहरी इलाके जैसे कि , कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ों को निशाना बनाया गया है।
जनता का गुस्सा और विरोध
सोशल मीडिया पर #SaveHyderabadForests और #TreeMassacre जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। सैकड़ों लोग प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं और सरकार से जवाब मांग रहे हैं। कई एनजीओ और ग्रीन एक्टिविस्ट्स ने इस कदम को ‘पर्यावरणीय हत्या’ करार दिया है।
सवाल उठते हैं…
लेकिन सवाल यह है कि क्या पुराने पेड़ों की छांव, जैव विविधता और उस पूरे इकोसिस्टम की भरपाई सिर्फ पौधारोपण से हो सकती है? क्या विकास का रास्ता पर्यावरण को कुर्बान कर के ही तय किया जाएगा?
निष्कर्ष
आज जब जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण जैसे संकट हमारे सामने हैं, ऐसे में हर एक पेड़ की कीमत समझनी होगी। विकास आवश्यक है, लेकिन वह पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखकर ही सार्थक होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर तत्काल रोक लगाई है। यह आदेश तब आया जब रिपोर्ट्स में बताया गया कि हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के निकट 400 एकड़ भूमि पर तेजी से वनों की कटाई हो रही है।
इस आदेश के बाद, हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने राहत की सांस ली। वे पिछले कई दिनों से इस भूमि की नीलामी और वनों की कटाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
Info Bihar इस मामले पर नजर बनाए हुए है। आगे की जानकारी के लिए जुड़े रहें।