प्रकाशित तिथि: 13.05.2025
🖋️ प्रस्तुतकर्ता: Info Bihar टीम
👋 Info Bihar की ओर से एक नम्र अभिवादन
आज के डिजिटल दौर में, जहां अधिकतर कंटेंट सिर्फ एंटरटेनमेंट तक सीमित है, वहीं कुछ ऐसे क्रिएटर भी हैं जो प्रकृति, हरियाली और शुद्ध जीवनशैली को प्रमोट कर रहे हैं।
हम गर्व से पेश करते हैं — आरती कुमारी , एक passionate गार्डनिंग क्रिएटर जो अपने छोटे-से गार्डन को digital दुनिया में लाखों लोगों तक पहुँचा रही हैं।
Creator’s Intro

नाम : आरती कुमारी
शहर – पटना , बिहार
Subject : Gardening | Eco-Lifestyle | DIY Natural Hacks
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छोटा गार्डन , बड़ी सोच – बातचीत कुछ इस तरह हुई
प्रश्न : बागबानी में आपकी रुचि कैसे शुरू हुई?
मैंने बागवानी को कभी जान बूझकर नहीं चुना—यह तो मेरे आसपास के माहौल से स्वाभाविक रूप से जीवन का हिस्सा बनती चली गई। पिता जी का पौधों से लगाव देखकर मुझे भी उनसे अपनापन महसूस होने लगा। पौधों के लिये उनका प्रेम और जीवनशैली धीरे-धीरे मेरे व्यवहार में ढलने लगी। हर सुबह हरियाली से घिरा आँगन ( इतना पर्याप्त स्थान था कि उसमें कई तरह की चीज़ें और बागवानी की विविधताएँ उगाई जा सकती थीं) पापा वहीं ऑर्गेनिक खेती करते थे, फूल, फल, सब्जियाँ उगाते थे — जहां मिट्टी की नमी, ऑर्गेनिक सब्ज़ियों की खुशबू, मोगरे की महक और कटहल के पेड़ पर झुंड में चीं-चीं करती गोरैया आत्मा को सुकून देती थी — मेरे लिए सबसे प्रिय स्थान बन गया। समय के साथ पेड़-पौधों की परवरिश मेरे स्वभाव का हिस्सा बन गई।

प्रश्न . आपके पसंदीदा पौधे या बागवानी से जुड़ी खास टिप्स क्या हैं जिन्हें आप दूसरों के साथ साझा करना चाहेंगी?
एक प्लांट मॉम के तौर पर, मैं एक पौधे को पसंदीदा नहीं कह सकती। मुझे अपने सारे पौधे प्यारे हैं—हर एक पत्ता, हर डाली, यहाँ तक कि वो जंगली घास भी जो धीरे-धीरे पेड़ बन जाती है। हर पौधे की अपनी एक कहानी होती है, और मैं खुद को हर एक को एक माँ की तरह सँभालने की ज़िम्मेदार मानती हूँ।

बागवानी सिर्फ पौधों की देखभाल नहीं, बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए प्रेम और ज़िम्मेदारी का भाव है।
My Tips :
शुरुआत में खुद पर ज़रूरत से ज़्यादा दबाव न डालें। बागवानी का मतलब सैकड़ों पौधे इकट्ठा करना नहीं है, सिर्फ इसलिए कि बाकी लोग ऐसा कर रहे हैं। इसका असली मतलब है एक गहरा जुड़ाव बनाना।
शुरुआत सिर्फ एक या दो पौधों से करें। उन्हें अपना पूरा ध्यान, समय और प्यार दें। उन्हें घर लाने से पहले उनकी ज़रूरतों को समझें। रोज़ उन्हें देखें, उनके विकास को जानें, उनके बदलते रूप को पहचानें, उनकी भाषा को समझें।
धीरे-धीरे आपका बग़ीचा एक खूबसूरत जंगल में बदल जाएगा—लेकिन तब ही जब शुरुआत से आपकी जड़ें मज़बूत हों। निरंतरता, देखभाल और आपकी उपस्थिति संख्या से कहीं ज़्यादा मायने रखती है।
हर दिन 10–20 मिनट का समय ज़रूर निकालें। वही समय धीरे-धीरे थेरेपी बन जाता है, और पौधे आपके दर्पण।
प्रश्न : क्या आपको बागवानी में कभी कोई चुनौती का सामना करना पड़ा है? आपने उनसे क्या सीखा?
बिलकुल, हर बागवानी के सफ़र में चुनौतियाँ आती हैं।
कभी चूहे जड़ों को नुकसान पहुँचा देते हैं, तो कभी मौसम अपना खेल दिखाता है। कभी स्वास्थ्य की समस्याएँ आती हैं, तो कभी समय की कमी बाधा बनती है। ये रास्ता कभी भी आसान नहीं रहा।
लेकिन हर एक चुनौती ने मुझे धैर्य, सहनशीलता और समय पर विश्वास करना सिखाया।
जैसे जीवन में होता है, वैसे ही बागवानी भी हमें सिखाती है कि समय और देखभाल के साथ हर चीज़ फिर से खिल उठती है।
और बग़ीचे की सबसे गहरी बात यही है—वो चुपचाप हमें सिखाता है कि कैसे हम हर परिस्थिति में खुद को नया रूप दे सकते हैं, जैसे पौधे करते हैं।

” बग़ीचे की खुशबू और मेहनत की मिट्टी से बनी है ” आरती जी ” की कहानी 🌼🏡 — ये सफर सिर्फ हरियाली का नहीं , उम्मीद का भी है। फिर मिलेंगे एक नई प्रेरणा के साथ ! 🌳📖”
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