5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस पर जानिए बिहार में पर्यावरण की वर्तमान स्थिति, भूमि पुनर्स्थापन की आवश्यकता, और राज्य में चल रहे जागरूकता अभियान। पेड़ लगाएं, प्लास्टिक घटाएं और हरा-भरा बिहार बनाएं।
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 — बिहार की धरती को फिर से हरा-भरा बनाने का संकल्प
लेखक: Info Bihar टीम | दिनांक: 5 जून 2025
🌱 परिचय:
हर साल 5 जून को दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। 2025 की थीम है —
“भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता”
(“Land Restoration, Desertification and Drought Resilience”).
बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य के लिए यह विषय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां की ज़मीन पर बढ़ती जनसंख्या, अनियंत्रित शहरीकरण और पेड़ कटाई से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।
🌍 क्यों ज़रूरी है भूमि पुनर्स्थापन?
- भारत की लगभग 30% ज़मीन बंजर या क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
- बिहार में गया, औरंगाबाद, जहानाबाद जैसे ज़िले गर्मी, जल संकट और मिट्टी की उर्वरता में गिरावट से जूझ रहे हैं।
- भूजल स्तर गिरना, फसल उत्पादन में गिरावट, और सूखा जैसे संकट अब सामान्य होते जा रहे हैं।
इसलिए ज़रूरी है कि हम आज से ही वृक्षारोपण, मिट्टी की गुणवत्ता सुधार, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए काम करें।
🌿 बिहार में पर्यावरण की वर्तमान स्थिति:
- पटना: तेजी से बढ़ती आबादी और यातायात ने वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
- गया: जंगलों की कटाई और जल संकट लगातार बढ़ रहा है।
- कोशी क्षेत्र: बाढ़ और मिट्टी कटाव यहां की सबसे बड़ी समस्याएं हैं।
🧑🤝🧑 बिहार में हो रही पहलें:
- “हरित पटना अभियान”: पटना नगर निगम द्वारा 2025 में 10,000 पौधे लगाने का लक्ष्य।
- “हर घर हरियाली” योजना (राज्य सरकार द्वारा): ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर पौधे वितरित करने की योजना।
- NGO Initiatives:
- Tarumitra नामक संस्था पर्यावरण शिक्षा पर काम कर रही है।
- Jal-Jeevan-Suraksha कार्यक्रम के तहत ग्रामीण इलाकों में वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

📌 आप क्या कर सकते हैं? (व्यक्तिगत स्तर पर पहल)
- हर साल कम से कम एक पेड़ लगाएं
- प्लास्टिक और थर्माकोल का प्रयोग बंद करें
- बिजली और पानी की बर्बादी रोकें
- साइकिल या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें
- बच्चों को पर्यावरण शिक्षा दें
📝 निष्कर्ष:
विश्व पर्यावरण दिवस हमें याद दिलाता है कि प्रकृति हमारी नहीं, हम प्रकृति के हैं। अगर हमने आज पर्यावरण की रक्षा नहीं की, तो आने वाली पीढ़ियों को इसका गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
आइए इस 5 जून को हम सब मिलकर संकल्प लें — “हरा-भरा बिहार, स्वच्छ बिहार” बनाने का।