• Tue. Oct 14th, 2025

हममें से कई लोग अपनी ज़िंदगी ऐसे जीते हैं जैसे कोई और हमारी गाड़ी चला रहा हो। हालात, लोग और परिस्थितियाँ हमें जहाँ ले जाएँ, हम बस चुपचाप पीछे बैठे रहते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि ऐसा करने से हम अपने मंज़िल तक पहुँच भी पाएंगे?

ज़िंदगी को एक कार समझिए। अगर आप ड्राइवर की सीट पर नहीं हैं तो रास्ता कौन तय करेगा? कोई भी मोड़, कोई भी गड्ढा आपकी ज़िंदगी को हिला सकता है। इसलिए अगर आपको अपनी मंज़िल तक पहुँचना है, तो सबसे पहले ड्राइवर बनना पड़ेगा।

ड्राइवर बनने का मतलब है अपनी ज़िंदगी की ज़िम्मेदारी खुद उठाना। अपने रिश्ते, करियर, पढ़ाई, और खुद के विकास के लिए आपको ही स्टेयरिंग पकड़नी होगी। अगर आप ध्यान नहीं देंगे, तो सोशल मीडिया, फालतू बातें और दूसरों की राय जैसी चीज़ें आपको भटका देंगी।

कैसे बने अपनी जिन्दगी के ड्राईवर?

  1. फ़ोकस बनाएँ: जैसे गाड़ी चलाते समय आप सड़क पर ध्यान रखते हैं, वैसे ही अपने लक्ष्यों पर नज़र रखें।
  2. डिस्ट्रैक्शन हटाएँ: मोबाइल, बेकार की बहस या नकारात्मक सोच – ये सब ज़िंदगी के ट्रैफिक जैम हैं।
  3. अपनी एनर्जी चार्ज करें: जैसे फोन चार्ज करना ज़रूरी है, वैसे ही अपने मन को पॉज़िटिव सोच, मेडिटेशन और अच्छी संगत से चार्ज करते रहें।
  4. आज से शुरुआत करें: कल का इंतज़ार मत करो। अभी से अपनी ड्राइवर सीट पर बैठ जाओ।

“राहुल और उसकी ज़िंदगी की कार – मजेदार कहानी”

राहुल एक होशियार लड़का था… लेकिन एक दिक्कत थी – हमेशा शिकायत करना!
“मेरी ज़िंदगी में कुछ अच्छा नहीं हो रहा… सब किस्मत की गलती है!” – राहुल हर दिन यही बोलता।
एक दिन उसके पापा बोले,
“चलो राहुल, आज तुम्हें कार चलाना सिखाते हैं।”
राहुल खुशी से उछल पड़ा –
“वाह! अब तो मैं स्पोर्ट्स कार चलाऊंगा!”

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लेकिन पापा ने उसे एक छोटी-सी पुरानी कार के पास ले जाकर कहा –
“बेटा, ये तेरी ज़िंदगी की कार है।”
राहुल हैरान –
“ये कैसी कार है पापा?!”
पापा ने मुस्कुराते हुए कहा –
“देख बेटा, गाड़ी में स्टीयरिंग कौन पकड़ता है?”
राहुल बोला –
“ड्राइवर!”
पापा ने कहा –
“तो अगर ड्राइवर स्टीयरिंग न पकड़े, तो गाड़ी कहाँ जाएगी?”
राहुल बोला –
“कहीं भी टकरा जाएगी!”
पापा बोले –
“बिलकुल सही। वैसे ही, अगर तू अपनी पढ़ाई और सपनों की स्टीयरिंग नहीं पकड़ेगा, तो तेरी ज़िंदगी भी टकरा जाएगी।”

राहुल को यह बात दिमाग में ऐसे लगी जैसे दिमाग की घंटी बज गई हो – टन टन!
उसने सोचा –
“मतलब… मैं अपनी ज़िंदगी का ड्राइवर हूँ?! फिर तो मुझे ध्यान से चलाना पड़ेगा!”
उस दिन से राहुल ने अपने ‘टाइम-वेस्टिंग ऐप्स’ की गाड़ी पार्किंग में खड़ी कर दी और अपनी पढ़ाई की गाड़ी को फुल स्पीड में दौड़ा दिया।
हर दिन पढ़ाई, थोड़ा खेल, थोड़ा मज़ा… और धीरे-धीरे उसने अपनी ज़िंदगी की गाड़ी सही रास्ते पर डाल दी।

नतीजा?

 राहुल ने बोर्ड में टॉप किया और सबको बता दिया –
“ज़िंदगी की गाड़ी तब तक आगे नहीं बढ़ती, जब तक ड्राइवर स्टीयरिंग न पकड़े!”

watch: ज़िंदगी की ड्राइवर सीट पर बैठो – Life lesson

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सीख क्या है?

ज़िंदगी भी एक कार है। अगर आप ड्राइवर बनेंगे तो ही सही रास्ते पर जा पाएंगे। दूसरों को दोष देने के बजाय अपनी स्टेयरिंग पकड़ो और अपनी मंज़िल तक पहुँचो।

By Anjani Gupta

अंजनी गुप्ता वर्तमान में InfoBihar में बतौर डिजिटल कंटेंट क्रिएटर कार्यरत हैं। इन्हें कंटेंट राइटिंग, स्टोरीटेलिंग और क्रिएटिव स्क्रिप्ट राइटिंग में गहरी समझ है। खासतौर पर मोरल स्टोरीज, बच्चों के लिए रोचक कंटेंट, एजुकेशन, सोशल वेलफेयर और हिस्टोरिकल टॉपिक्स पर लिखने में अंजनी को महारत हासिल है। इनके पास कंटेंट डेवलपमेंट और डिजिटल मीडिया में कई वर्षों का अनुभव है। चाहे मोटिवेशनल स्टोरीज हों, हॉरर स्क्रिप्ट्स या फिर बच्चों के लिए इंटरैक्टिव स्टोरीज, अंजनी हर कंटेंट को सरल, आकर्षक और इन्फॉर्मेटिव भाषा में प्रस्तुत करना जानती हैं। राइटिंग के अलावा अंजनी को बुक डिज़ाइनिंग, क्रिएटिव आइडियाज डेवलप करना और यूट्यूब के लिए नैरेटिव-बेस्ड स्क्रिप्ट तैयार करना पसंद है। खाली समय में ये नई कहानियाँ लिखना, रिसर्च करना और म्यूज़िक सुनना पसंद करती हैं।