• Sat. Sep 13th, 2025
हम सब अपने परिवार से बेहद प्यार करते हैं। हर कोई चाहता है कि उसके घर में खुशियाँ हों, बच्चे स्वस्थ और सफल हों, और बुजुर्ग हमेशा मुस्कुराते रहें। लेकिन क्या सिर्फ़ पैसा और सुविधाएँ देकर हम अपने परिवार को खुश रख सकते हैं? बी.के. शिवानी जी का कहना है—

“खुशहाल परिवार सिर्फ़ पैसे से नहीं बनता, उसके लिए हमें अपने विचारों और ऊर्जा को शुद्ध रखना होगा।”

इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि बी.के. शिवानी ने क्यों कहा कि अगर आप सच में अपने परिवार से प्यार करते हो, तो ये 7 बातें ज़रूर मानो। ये बातें न सिर्फ़ बच्चों की परवरिश के लिए ज़रूरी हैं बल्कि पूरे घर के माहौल को सकारात्मक बनाने के लिए भी बेहद अहम हैं।

1. बच्चों की सेंसिटिविटी कमज़ोरी नहीं, ताकत है

आजकल के बच्चों को देखकर कई लोग कहते हैं—“ये बच्चे बहुत सेंसिटिव हैं।” लेकिन शिवानी जी कहती हैं कि ये उनकी सबसे बड़ी ताकत है। बच्चे स्पंज की तरह होते हैं, वे हर चीज़ को सोख लेते हैं—आपके शब्द, आपके विचार, और आपके घर का माहौल।

अगर घर में झगड़े, गुस्सा और तनाव रहेगा, तो वही बच्चों की सोच और सेहत में उतर जाएगा। लेकिन अगर आप उन्हें प्यार, धैर्य और शांति देंगे, तो वही उनके संस्कार बनेंगे। इसलिए सेंसिटिविटी को कमज़ोरी मत समझो, बल्कि इसे सही दिशा दो।

2. संस्कार – बच्चों की असली विरासत

हम अपने बच्चों को अच्छे स्कूल, अच्छे कपड़े, और अच्छी सुविधाएँ देने में मेहनत करते हैं। लेकिन क्या हम उन्हें अच्छे संस्कार दे पा रहे हैं?
बी.के. शिवानी कहती हैं—“संस्कार हमारी सबसे बड़ी देन है।” ये संस्कार सिर्फ़ इस जन्म के नहीं होते, कई बार ये पिछले जन्मों से भी आते हैं। अगर बच्चा गुस्सैल है, डरपोक है या बहुत इमोशनल है, तो उसके पीछे पुराने संस्कार हो सकते हैं।
माता-पिता का काम है इन संस्कारों को सही दिशा देना। बच्चों के साथ बैठकर बातें करें, उन्हें प्यार दें, और रोज़ घर में अच्छे शब्द बोलें। यही असली निवेश है जो आने वाले समय में आपके बच्चे को मजबूत बनाएगा।

3. घर का माहौल क्यों है सबसे ज़रूरी

हम अक्सर बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देते हैं, लेकिन उनके इमोशनल एनवायरनमेंट पर नहीं। बी.के. शिवानी कहती हैं कि बच्चे सबसे ज्यादा सीखते हैं घर के माहौल से।
अगर घर में हर समय टीवी पर नेगेटिव न्यूज़ चल रही है, लोग गुस्से में हैं या तनाव में हैं, तो बच्चा यही सब सीख रहा है।

इसलिए घर में ज्यादा से ज्यादा पॉज़िटिविटी भरें। सुबह उठकर अच्छे गाने, भजन या मेडिटेशन म्यूज़िक चलाएँ। गुस्से में बात करने की आदत छोड़ें। याद रखिए—बच्चा आपके शब्द नहीं, आपकी वाइब्रेशन कैच करता है।

4. खाना सिर्फ़ शरीर नहीं, मन को भी बनाता है: पॉज़िटिव एनर्जी वाला भोजन कैसे बनाएँ

हम अक्सर ये भूल जाते हैं कि खाना सिर्फ़ शरीर को ताकत नहीं देता, बल्कि हमारे मन की वाइब्रेशन भी तय करता है। बी.के. शिवानी कहती हैं—“जो खाना आप प्यार से बनाएंगे, उसमें पॉज़िटिव एनर्जी होगी।”

खाना बनाते समय गुस्सा मत करें, गालियाँ मत दें, और कोशिश करें कि कोई टीवी पर नेगेटिव चीज़ न चल रही हो। अगर खाना बनाते समय मंत्र या भजन सुनेंगे, तो उसका असर खाने में जाएगा और बच्चे भी शांत और खुश रहेंगे।

साथ ही, सतविक भोजन को अपनाएँ—यानी बिना हिंसा वाला, शुद्ध और हल्का खाना। शराब, सिगरेट, नॉन-वेज जैसी चीज़ें घर की एनर्जी को गिरा देती हैं। अगर सच में बच्चों को मजबूत और पॉज़िटिव बनाना है, तो ये बदलाव ज़रूरी है।

5. गर्भावस्था से ही बच्चे का संस्कार शुरू होता है

अगर आप माँ बनने वाली हैं, तो याद रखें—आपके विचार, आपका मूड, आपकी एनर्जी सीधा बच्चे तक पहुँचता है। गुस्सा, चिंता, तनाव—ये सब बच्चा अपने साथ लेता है।
इसलिए गर्भावस्था में खास ध्यान रखें। ज्यादा से ज्यादा शांत संगीत सुनें, पॉज़िटिव किताबें पढ़ें और गुस्से से दूर रहें। बच्चा आपकी वाइब्रेशन में पलता है, इसलिए अपनी एनर्जी को शुद्ध रखें।

6. नेगेटिव सब्सटेंस और एनर्जी से दूरी रखें

बी.के. शिवानी कहती हैं कि शराब, तंबाकू, नॉन-वेज जैसे खाद्य पदार्थ सिर्फ़ शरीर के लिए नहीं, मन के लिए भी हानिकारक हैं। ये सब लो-वाइब्रेशन चीज़ें हैं, जो घर के एनवायरनमेंट को नेगेटिव बना देती हैं।

अगर सच में आप अपने परिवार से प्यार करते हैं, तो इन चीज़ों को छोड़ दें। बच्चे वही सीखेंगे जो वे देखेंगे।

7. माता-पिता का माइंडसेट – बच्चों का फ्यूचर तय करता है

सबसे अहम बात—बच्चे वही बनते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं। अगर आप हर समय गुस्से में रहते हैं, शिकायत करते हैं, या दुखी रहते हैं, तो बच्चे भी वैसा ही सोचेंगे।

बी.के. शिवानी कहती हैं—“प्यार देना है तो पहले खुद को प्यार दें। शांति देनी है तो खुद शांत बनें।”

निष्कर्ष

अगर आप चाहते हैं कि आपका परिवार खुश और स्वस्थ रहे, तो ये बातें सिर्फ़ सुनो मत, अपनाओ। घर में प्यार, शांति और पॉज़िटिविटी लाना हमारी जिम्मेदारी है। पैसे से सिर्फ़ सुविधाएँ खरीदी जा सकती हैं, संस्कार और खुशियाँ नहीं।

याद रखिए—हमारे विचार और वाइब्रेशन ही हमारे बच्चों का भविष्य लिखते हैं। अगर आज आपने अपने घर को शुद्ध और शांत बनाया, तो कल आपका बच्चा मजबूत, खुश और सफल बनेगा।

By Anjani Gupta

अंजनी गुप्ता वर्तमान में InfoBihar में बतौर डिजिटल कंटेंट क्रिएटर कार्यरत हैं। इन्हें कंटेंट राइटिंग, स्टोरीटेलिंग और क्रिएटिव स्क्रिप्ट राइटिंग में गहरी समझ है। खासतौर पर मोरल स्टोरीज, बच्चों के लिए रोचक कंटेंट, एजुकेशन, सोशल वेलफेयर और हिस्टोरिकल टॉपिक्स पर लिखने में अंजनी को महारत हासिल है। इनके पास कंटेंट डेवलपमेंट और डिजिटल मीडिया में कई वर्षों का अनुभव है। चाहे मोटिवेशनल स्टोरीज हों, हॉरर स्क्रिप्ट्स या फिर बच्चों के लिए इंटरैक्टिव स्टोरीज, अंजनी हर कंटेंट को सरल, आकर्षक और इन्फॉर्मेटिव भाषा में प्रस्तुत करना जानती हैं। राइटिंग के अलावा अंजनी को बुक डिज़ाइनिंग, क्रिएटिव आइडियाज डेवलप करना और यूट्यूब के लिए नैरेटिव-बेस्ड स्क्रिप्ट तैयार करना पसंद है। खाली समय में ये नई कहानियाँ लिखना, रिसर्च करना और म्यूज़िक सुनना पसंद करती हैं।