हमारे आस-पास ऐसे लोग होते हैं जो हमेशा जलन, गुस्सा या नफरत से भरे रहते हैं। ऐसे लोग हमारी बातों या कामों में कमी ढूँढ़ते हैं और हमें परेशान करने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके मन में परेशानी और दुख होता है।
एक कहानी इस बात को बहुत आसान तरीके से समझाती है।
एक गाँव में एक समझदार आदमी रहता था। उसका पड़ोसी उससे बहुत जलता था। वह रोज़ उसे बुरा कहता, गुस्सा दिखाता। लेकिन समझदार आदमी कभी जवाब में गुस्सा नहीं करता। एक दिन उसने पड़ोसी को एक टोकरी भरकर अच्छे-ताज़े सेब दिए। पड़ोसी हैरान हो गया और पूछा – “तुम मुझे ये क्यों दे रहे हो?”
उस समझदार आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा – “हर कोई वही देता है जो उसके पास है। तुम्हारे पास नफरत है, इसलिए तुम वही देते हो। मेरे पास प्यार है, इसलिए मैं वही देता हूँ।”
इससे हमें क्या सीख मिलती है?
इससे हमें यह सीख मिलती है कि जब कोई आपको बुरा कहे, तो आप बुरा मत कहो। अगर कोई आपको पत्थर मारे, तो आप ऊँचा उठो। मतलब, गुस्से का जवाब गुस्से से मत दो। अगर आप भी गुस्से में जवाब दोगे, तो आप भी उसी स्तर पर गिर जाओगे।
याद रखो – जो लोग गुस्से में रहते हैं, वो अंदर से परेशान होते हैं। उनकी नफरत को अपने दिल में मत लो। इसके बजाय, अच्छे रहो, शांत रहो और अपना ध्यान अपने काम पर लगाओ। यही असली समझदारी है।
हमेशा याद रखें – सच्ची जीत तब होती है, जब आप नफ़रत का जवाब प्यार से देते हैं। बुराई से डरने के बजाय, अच्छाई से उसका सामना करें।
इस गहरी सीख को और अच्छे से समझने के लिए मैं आपको एक प्रेरणादायक कहानी सुनाती हूँ – “कबूतर और पत्थर”।
“कबूतर और पत्थर”
एक बार की बात है, एक खूबसूरत बगीचे में एक सफेद कबूतर पेड़ की डाल पर बैठा था। वह आराम से अपने पंख साफ कर रहा था और चहचहा रहा था। तभी वहाँ से एक छोटा लड़का गुज़रा। उसने कबूतर को देखा और शरारत में एक पत्थर उठाकर कबूतर पर फेंक दिया।
पत्थर कबूतर के पास से गुज़रा, लेकिन कबूतर को चोट नहीं लगी। कबूतर डरकर उड़ गया और एक ऊँचे पेड़ की डाल पर जाकर बैठ गया।
