बांका जिले में 75 वर्षीय बुजुर्ग के खाते से पोते ने बैंककर्मी की मदद से 28 लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए। दादा की सहमति के बिना ज्वाइंट खाता खुलवाकर रकम हड़प ली गई। मामला दर्ज, पुलिस जांच में जुटी।
घटना का खुलासा – दादा से छीन ली जिंदगी भर की कमाई
बांका जिले के अमरपुर सुरिहारी गांव निवासी 75 वर्षीय अनिरुद्ध प्रसाद सिंह लंबे समय से अपनी मेहनत की कमाई बैंक में जमा कर सुरक्षित मानते थे। उनके खाते में 28 लाख 5 हजार रुपये थे। लेकिन इस रकम पर उनके ही पोते अभिषेक आनंद की नजर थी। पुलिस की जांच में सामने आया कि अभिषेक ने बैंक के कर्मचारी राहुल कुमार झा से मिलकर पूरी साजिश रची और धीरे-धीरे दादा के पूरे पैसे अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए।
पहला झटका – पांच लाख की ट्रांजेक्शन
जांच में पता चला कि सबसे पहले पोते ने 5 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कराए। यह काम भी उसने दादा की सहमति या जानकारी के बिना किया। इस काम में बैंककर्मी राहुल की भूमिका सबसे अहम रही, जिसने नियम और प्रक्रिया को ताक पर रखकर सारे दस्तावेज तैयार कर दिए।
ज्वाइंट खाता भी खुलवा लिया – फर्जी हस्ताक्षर का खेल
यहीं तक बात नहीं रुकी। अभिषेक ने बैंककर्मी की मदद से अपने दादा के नाम से एक संयुक्त खाता (Joint Account) भी खुलवा लिया। खास बात यह है कि यह खाता दादा के फर्जी हस्ताक्षर से खोला गया। खाते के सभी बैंकिंग अधिकार पोते ने अपने पास रख लिए।
इसके बाद उसने दादा का चेकबुक चुरा लिया, यहां तक कि बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर भी बदल दिया। दादा के असली नंबर की सिम निकालकर पोते ने उसे अपने पास रख लिया और दूसरा सिम दादा के फोन में डाल दिया। अब हर लेन-देन की जानकारी सिर्फ पोते को मिलने लगी।
पूरा पैसा निकाल लिया – बुजुर्ग हुए ठगे
धीरे-धीरे पोते ने दादा के खाते से पूरे 28 लाख रुपये अपने पास कर लिए। बुजुर्ग को इसका अंदाजा भी तब हुआ जब उन्हें अपने इलाज के लिए पैसे की जरूरत पड़ी।
इलाज के पैसे मांगे तो मिली गाली
अनिरुद्ध प्रसाद सिंह बीमार रहते हैं। उन्होंने अपने पोते से इलाज के लिए 10 हजार रुपये मांगे। लेकिन पोते ने पैसे देने से साफ इनकार कर दिया और दादा से अभद्र भाषा में बात की।
रिपोर्ट के मुताबिक अभिषेक ने यहां तक कहा –
“मैंने तुम्हारी जमीन लिखवा ली है, मकान बना लिया है और बैंक का सारा पैसा भी निकाल लिया हूं। अब तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।”
बैंक में भी अपमान – धक्के मारकर निकाला
जब बुजुर्ग ने बैंक जाकर मामले की जांच करनी चाही तो वहां भी उन्हें अपमानित होना पड़ा। बैंककर्मी राहुल कुमार झा ने उन्हें कहा –
“आप बूढ़े हो चुके हैं, इसलिए आपकी सुविधा के लिए मैंने आपका पैसा आपके पोते के खाते में डाल दिया है। अब आपको बैंक आने की जरूरत नहीं।”
जब दादा ने इसका विरोध किया तो बैंककर्मी ने उन्हें धक्के मारकर बैंक से बाहर निकाल दिया।
पुलिस में शिकायत – नामजद प्राथमिकी दर्ज
हताश और निराश बुजुर्ग अनिरुद्ध प्रसाद सिंह ने बांका एसएसपी हृदय कांत को लिखित आवेदन देकर पूरी घटना की जानकारी दी।
एसएसपी के निर्देश पर कोतवाली थाने में अभिषेक आनंद (पोता) और राहुल कुमार झा (बैंककर्मी) के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और बैंक से जुड़े दस्तावेज जब्त कर लिए हैं।

पुलिस जांच के मुख्य बिंदु
- संयुक्त खाता खोलने की प्रक्रिया – क्या वाकई दादा की उपस्थिति में खाता खुला था या दस्तावेज फर्जी बनाए गए?
- मोबाइल नंबर बदलने का आधार – किस आधार पर बैंक ने मोबाइल नंबर बदलने की अनुमति दी?
- सुरक्षा प्रणाली की विफलता – लाखों रुपये ट्रांसफर होने के बावजूद बुजुर्ग ग्राहक को सूचना क्यों नहीं दी गई?
- बैंककर्मी की भूमिका – बैंककर्मी राहुल कुमार झा ने किन नियमों का उल्लंघन किया और किस दबाव या लालच में यह अपराध किया?
रिश्तों पर सवाल – जब अपनों से ही धोखा मिला
यह मामला सिर्फ बैंकिंग धोखाधड़ी का नहीं बल्कि रिश्तों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करता है। जिस पोते पर एक दादा ने अपना स्नेह और विश्वास जताया, उसी ने उन्हें लूट लिया।
बैंकिंग सुरक्षा और जिम्मेदारी
यह घटना बैंकिंग सुरक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठाती है।
- क्या बैंक में ग्राहक की सहमति के बिना खाता जोड़ा जा सकता है?
- क्या बिना OTP या सत्यापन के इतने बड़े ट्रांसफर संभव हैं?
- अगर ऐसा संभव हुआ तो बैंक की सुरक्षा प्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न है।
समाज के लिए सीख
यह घटना समाज के लिए कई सीख छोड़ जाती है –
- बुजुर्ग लोग अपने बैंकिंग दस्तावेज खुद संभालें।
- ATM, चेकबुक और मोबाइल नंबर किसी को न दें।
- अगर शक हो तो तुरंत बैंक और पुलिस को सूचित करें।
- बुजुर्गों को डिजिटल बैंकिंग की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए।
निष्कर्ष
बांका जिले का यह मामला एक बड़ा सबक है कि लालच और विश्वासघात किसी भी रिश्ते को तोड़ सकता है। पोते और बैंककर्मी की मिलीभगत ने न केवल बुजुर्ग को आर्थिक रूप से तोड़ा बल्कि भावनात्मक रूप से भी गहरी चोट दी।
पुलिस अब इस मामले की जांच कर रही है और आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
यह मामला साफ दिखाता है कि रिश्ते और बैंकिंग दोनों में भरोसा तभी सुरक्षित है जब पारदर्शिता और ईमानदारी बनी रहे।