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नवादा: बिहार के नवादा जिले के हिसुआ थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहाँ अंधविश्वास और भीड़ की क्रूरता ने एक निर्दोष दंपती की जिंदगी को बर्बाद कर दिया। मुहल्ले के लोगों ने 70 वर्षीय बुजुर्ग पति और 65 वर्षीय पत्नी को “डायन” बताकर न केवल बेइज्जत किया बल्कि उनके साथ ऐसी बर्बरता की, जिसने पूरे राज्य को झकझोर दिया। इस भीड़तंत्र का शिकार होकर पति ने अपनी जान गंवा दी जबकि पत्नी गंभीर रूप से घायल है और अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है।


घटना कैसे घटी?

नवादा जिले के हिसुआ थाना क्षेत्र अंतर्गत पांचूगढ़ मुसहरी में मंगलवार की देर रात यह भयावह घटना हुई। बताया जाता है कि इलाके में पहले से अफवाहें फैली हुई थीं कि यह दंपती काला जादू करता है और मोहल्ले के लोगों को नुकसान पहुंचाता है। इस अंधविश्वास का फायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्वों ने पूरे मुहल्ले को भड़का दिया।

रात में जब पुलिस डायल-112 की टीम ने स्थिति को शांत कराया और लौट गई, उसके कुछ समय बाद फिर भीड़ इकट्ठा हो गई। इस बार भीड़ ने पूरी तरह से बर्बरता दिखाते हुए दंपती का सिर मुंडवा दिया, उन पर चूना लगाया, पेशाब पिलाया, और जूते-चप्पल की माला पहनाकर पूरे मोहल्ले में घुमाया। इसके बाद दोनों को बुरी तरह से पीटा गया।

इस क्रूरता के चलते पति की मौके पर ही मौत हो गई जबकि पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गई।


पत्नी को जिंदा जलाने की तैयारी

इस घटना की अमानवीयता यहीं नहीं रुकी। अगली सुबह कुछ लोग मृत पति के शव के साथ पत्नी को जिंदा जलाने की योजना बना रहे थे। हालांकि, इस बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची।

पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर सदर अस्पताल भेजा और घायल महिला को हिसुआ सामुदायिक अस्पताल में भर्ती कराया। महिला की स्थिति गंभीर बनी हुई है।


पुलिस की कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही वरिष्ठ अधिकारियों ने मोर्चा संभाला। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 5 से 6 लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि इस घटना में शामिल सभी दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, घटना की रात डायल-112 की टीम पहुंची थी और माहौल शांत कराकर लौट गई थी। लेकिन पुलिस के जाते ही असामाजिक तत्वों ने दोबारा भीड़ को भड़का दिया और इस घटना को अंजाम दिया।


अंधविश्वास की जड़ें और सामाजिक विडंबना

यह पहली बार नहीं है जब बिहार के किसी इलाके से “डायन” बताकर हत्या या उत्पीड़न की खबर आई हो। ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास, शिक्षा की कमी और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण अक्सर महिलाएं और बुजुर्ग लोग इसका शिकार बनते हैं।

  • बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में पिछले कई दशकों से “डायन प्रथा” जैसी कुप्रथा लोगों की मानसिकता में घर कर चुकी है।
  • समाज के दबंग लोग या व्यक्तिगत दुश्मनी रखने वाले लोग अक्सर किसी महिला या परिवार को डायन बताकर भीड़ के हवाले कर देते हैं।
  • यह भीड़तंत्र न केवल कानून और प्रशासन को ठेंगा दिखाता है बल्कि लोकतंत्र और इंसानियत के लिए कलंक भी है।

मानवाधिकार संगठनों की चिंता

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि जब तक गांव-गांव में अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता अभियान नहीं चलाया जाएगा, तब तक इस तरह की घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं।

उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि—

  1. दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए।
  2. पीड़ित महिला को आर्थिक और मानसिक सहायता दी जाए।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में डायन प्रथा उन्मूलन अभियान चलाया जाए।
  4. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया जाए ताकि लोग झूठे अंधविश्वास से बाहर निकल सकें।

पीड़ित परिवार की स्थिति

70 वर्षीय मृतक के परिवार के सदस्य इस घटना से सदमे में हैं। उनका कहना है कि उनका परिवार बेहद गरीब है और गांव में दिहाड़ी मजदूरी करके गुजर-बसर करता था। उन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन फिर भी अफवाहों और अंधविश्वास का शिकार होना पड़ा।

परिवार ने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है और कहा है कि दोषियों को उदाहरणात्मक सजा दी जाए ताकि आगे कोई भी निर्दोष इस तरह की भीड़तंत्र का शिकार न हो।