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क्या भोजपुरी संगीत अपनी असली पहचान खो चुका है?

लेखक: Info Bihar Team | प्रकाशित: आज | कैटेगरी: Art & Culture, Society


📍 भूमिका:

भोजपुरी संगीत – एक समय था जब ये लोककला, विरासत और संस्कृति की एक ख़ूबसूरत परंपरा का हिस्सा था। लेकिन आज, सोशल मीडिया और वायरल रील्स के दौर में, क्या यह वही भोजपुरी संगीत है जो दादी-नानी गुनगुनाया करती थीं?


🎶 भोजपुरी म्यूज़िक का गौरवशाली अतीत:

  • लोकगीत, कजरी, बिरहा, सोहर, और भक्ति गीत – ये सब उस दौर की पहचान थे जब भोजपुरी संगीत आत्मा से जुड़ा होता था।
  • गाँव की चौपालों से लेकर शादी-ब्याह तक, हर अवसर पर ये गीत लोगों को जोड़ते थे।

😔 अब क्या है स्थिति?

  • आज के कई भोजपुरी गाने अश्लीलता, डबल मीनिंग और भड़काऊ कंटेंट से भरे होते हैं।
  • गानों के बोल से लेकर वीडियो तक सब कुछ केवल “वायरल” होने के लिए बनते हैं, संस्कृति और नैतिकता की कीमत पर।
  • कुछ चैनल और प्रोडक्शन हाउसेज़ ने इसे एक बिजनेस बना लिया है – “जो बिकेगा वही बनेगा।”

📉 इसका असर:

  • युवाओं की सोच पर गहरा प्रभाव – प्रेम और संबंध को एक वस्तु की तरह पेश किया जा रहा है।
  • बिहार की छवि – पूरे भारत में भोजपुरी को अब अश्लीलता से जोड़ कर देखा जा रहा है, जो कि बहुत दुखद है।
  • पारंपरिक कलाकार हाशिए पर – जो लोग असली लोककला में माहिर हैं, उन्हें मंच नहीं मिल पा रहा।

🧠 समाधान क्या हो सकता है?

  1. फिल्टर और निगरानी – OTT या यूट्यूब पर कंटेंट की मॉनिटरिंग ज़रूरी है।
  2. पॉजिटिव मूवमेंट शुरू हो – जैसे “Clean Bhojpuri” या #RespectBhojpuriCulture जैसे कैम्पेन चलाए जाएं।
  3. लोक कलाकारों को प्रमोट करें – असली लोकगीत गाने वालों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म दें।
  4. यूथ को जोड़ें – स्कूली/कॉलेज लेवल पर रियल भोजपुरी आर्ट को बढ़ावा दिया जाए।

📣 निष्कर्ष:

भोजपुरी संगीत का मतलब सिर्फ मस्ती या डांस नहीं है। ये हमारी मिट्टी की आवाज़ है। इसे बचाना सिर्फ कलाकारों का नहीं, हम सबका काम है। समय आ गया है जब हमें तय करना होगा – क्या हम भोजपुरी को बाजार की भाषा बनने देंगे या फिर विरासत की?