बिहार में अपराध और मासूम बच्चों के खिलाफ हो रही हिंसा ने एक बार फिर पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। बेगूसराय जिले के साहेबपुरकमाल थाना क्षेत्र के खरहट गांव से दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिसमें 14 वर्षीय बच्चे अमृतांशु कुमार उर्फ मनखुश की बेहद बेरहमी से हत्या कर दी गई। अपराधियों ने न केवल उसका गला रेता बल्कि पेट को चीरकर और उसके निजी अंग को काटकर अलग कर दिया। इस घटना से पूरे गांव में आक्रोश का माहौल है और लोग इंसाफ की मांग कर रहे हैं।
घटना की पूरी कहानी
मृतक अमृतांशु कुमार, गांव निवासी श्याम दास का इकलौता बेटा था। गुरुवार की शाम को वह कोचिंग से पढ़कर घर लौटा और रोज़ की तरह खेलने के लिए घर से बाहर निकल गया। परिजनों के अनुसार, वह पास ही स्थित मां काली मंदिर के मैदान में अपने दोस्तों के साथ देर तक खेलता रहा। इसके बाद अचानक वह गायब हो गया।
रात 9 बजे तक जब वह घर नहीं लौटा तो परिवार ने उसकी खोजबीन शुरू की। पूरे गांव में ढूंढने के बावजूद उसका कोई पता नहीं चल सका। अगले दिन शुक्रवार की सुबह गांव वालों ने खेतों की तरफ देखा तो मक्के के खेत से उसकी लाश बरामद हुई।
लाश देखकर कांप उठी रूह
लाश की स्थिति देखकर गांव के लोग और परिजन दहशत में आ गए। शव की हालत ऐसी थी कि किसी का भी दिल दहल जाए। गला रेता हुआ था, पेट चीरा हुआ था और निजी अंग को काटकर अलग कर दिया गया था। यह दृश्य देखकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने शव उठाने से इंकार कर दिया।
ग्रामीणों का कहना था कि जब तक पुलिस अपराधियों की गिरफ्तारी और मामले के खुलासे का आश्वासन नहीं देती, तब तक शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाएगा।
पुलिस की भूमिका और जांच
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय थाना पुलिस और जिला पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा। हालात को देखते हुए बेगूसराय एसपी योगेंद्र कुमार ने ग्रामीणों को समझाया और आश्वासन दिया कि दो दिनों के अंदर मामले का खुलासा कर अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा।
फिलहाल पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की तफ्तीश शुरू कर दी गई है। आशंका जताई जा रही है कि अपराधियों की संख्या तीन से चार रही होगी, जिन्होंने बच्चे को पहले अगवा किया और फिर उसकी निर्मम हत्या की।
गांव में आक्रोश और मातम
खरहट गांव में इस घटना के बाद मातम पसरा हुआ है। श्याम दास, जिनका यह इकलौता बेटा था, बेसुध हो गए हैं। मां की हालत रो-रोकर खराब है। ग्रामीणों में भी गुस्सा है कि आखिर इस तरह की घटनाएं कब तक होती रहेंगी और मासूमों की जान कब तक जाती रहेगी।
लोगों का कहना है कि अपराधियों में अब पुलिस का खौफ बिल्कुल खत्म हो गया है। दिनदहाड़े बच्चों का अपहरण और हत्या इस बात की गवाही देती है कि अपराधी निडर हो चुके हैं।
सामाजिक और मानसिक असर
इस घटना ने केवल एक परिवार को नहीं बल्कि पूरे गांव और आसपास के इलाके को हिला दिया है। लोग अपने बच्चों को बाहर खेलने भेजने से डरने लगे हैं। परिजनों का कहना है कि इस घटना ने उनके जीवन को तबाह कर दिया है।
समाजशास्त्रियों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं का असर बच्चों और युवाओं की मानसिकता पर गहरा पड़ता है। वे असुरक्षा महसूस करने लगते हैं और धीरे-धीरे समाज में भय का माहौल बन जाता है।
प्रशासन पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस की गश्ती और सुरक्षा व्यवस्था केवल दिखावे की है। अगर समय पर पुलिस सक्रिय रहती तो शायद इस तरह की दर्दनाक घटना को रोका जा सकता था।
लोग यह भी कह रहे हैं कि आए दिन बेगूसराय और आसपास के इलाकों से अपराध की खबरें आती हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन केवल बयानबाजी तक सीमित है।
न्याय की मांग और भविष्य की राह
ग्रामीणों और मृतक के परिवार की मांग है कि इस मामले की जांच तेजी से की जाए और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी अपराधी इस तरह की घिनौनी हरकत करने की हिम्मत न कर सके।
इसके साथ ही लोग यह भी चाहते हैं कि बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए गांव-गांव में पुलिस गश्ती को बढ़ाया जाए, ताकि लोगों के अंदर सुरक्षा की भावना पैदा हो।
निष्कर्ष
बेगूसराय का यह हत्याकांड केवल एक बच्चे की मौत की कहानी नहीं है, बल्कि यह सवाल है कि आखिर बिहार कब सुरक्षित होगा? अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं? और मासूम बच्चों की सुरक्षा कब सुनिश्चित होगी?
अमृतांशु उर्फ मनखुश की हत्या ने पूरे बिहार को झकझोर दिया है। इस घटना का जख्म केवल परिवार को नहीं बल्कि समाज को भी लंबे समय तक टीस देता रहेगा। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन कितनी जल्दी अपराधियों को पकड़कर कानून के हवाले करता है और क्या वाकई बिहार में न्याय मिलेगा।