गया जिले के बोधगया थाना क्षेत्र स्थित बीएमपी-3 (बिहार मिलिट्री पुलिस कैंपस) में शनिवार की रात एक दर्दनाक घटना सामने आई। यहाँ पदस्थापित 55 वर्षीय एएसआई राजेश कुमार सिंह का शव पंखे से लटका हुआ पाया गया। पहली नज़र में मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन मृतक के परिवार का आरोप है कि उन्हें विभाग के ही कुछ अधिकारियों द्वारा लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था, जिसके कारण यह घटना घटी।
राजेश कुमार सिंह का पैतृक घर सारण जिला (छपरा) के सोनपुर थाना क्षेत्र के गंगाजल गांव में है। उनकी सेवा अवधि लंबी रही और वे वर्ष 2000 से लेकर अब तक बीएमपी-3 में ही पदस्थापित थे। परिवार का कहना है कि वह काफी समय से तनाव में थे और हाल ही में फोन पर बातचीत में उन्होंने अधिकारियों की प्रताड़ना का जिक्र भी किया था।
शव मिलने के बाद मचा कोहराम
रविवार की सुबह जब यह खबर परिवार तक पहुँची तो वे आनन-फानन में गया पहुँचे। परिजनों ने जब शव को पंखे से लटका देखा तो चीख-पुकार मच गई। परिवार के लोग रोते-बिलखते न्याय की गुहार लगाने लगे।
स्थानीय पुलिस मौके पर पहुँची और शव को कब्जे में लेकर अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज, गया में पोस्टमार्टम के लिए भेजा। फिलहाल घटनास्थल को पुलिस ने सील कर दिया है और जांच शुरू कर दी गई है।
परिजनों का गंभीर आरोप
मृतक एएसआई के परिजनों ने बताया कि वे काफी समय से तनाव में थे। उनका आरोप है कि विभाग के एक अधिकारी द्वारा उन्हें बार-बार मानसिक और शारीरिक यातनाएँ दी जा रही थीं।
परिवार का दावा है कि:
- मृतक के शरीर पर कई जख्मों के निशान पाए गए हैं।
- यह केवल आत्महत्या का मामला नहीं बल्कि साजिशन हत्या भी हो सकती है।
- अधिकारी की प्रताड़ना और लगातार दबाव के कारण ही उन्होंने यह कदम उठाया।
पुलिस की कार्रवाई
बोधगया थाना प्रभारी के अनुसार:
- शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
- घटनास्थल को सील कर दिया गया है।
- मृतक के परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असली कारणों की पुष्टि हो सकेगी।
आत्महत्या या हत्या?
हालांकि प्रारंभिक जांच में मामला आत्महत्या का लग रहा है, लेकिन परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
- यदि यह आत्महत्या है तो कारण क्या था?
- यदि हत्या है तो कौन जिम्मेदार है?
- क्या विभागीय दबाव और मानसिक प्रताड़ना किसी की जान लेने तक मजबूर कर सकती है?
यह प्रश्न पुलिस जांच के केंद्र में हैं।
विभागीय प्रताड़ना का मुद्दा फिर उठा
यह मामला पुलिस विभाग में कार्यरत कर्मियों पर पड़ने वाले मानसिक दबाव और प्रताड़ना की तरफ इशारा करता है।
- कई बार जवान और अधिकारी अत्यधिक काम के बोझ, वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव और अनुचित व्यवहार के कारण तनाव में आ जाते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विभाग में कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने के कारण अक्सर ऐसे मामलों में आत्महत्या की घटनाएँ सामने आती हैं।
परिवार की मांग
परिवार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्हें न्याय चाहिए। उनकी मांग है कि:
- संबंधित अधिकारी की भूमिका की जांच की जाए।
- दोषी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई हो।
- मृतक एएसआई के परिवार को उचित मुआवजा और सुरक्षा प्रदान की जाए।
समाज में बढ़ती आत्महत्या की घटनाएँ
यह घटना एक बार फिर समाज और सरकारी तंत्र में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं की ओर ध्यान खींचती है। विशेषज्ञों का मानना है कि:
- तनाव, अवसाद और मानसिक उत्पीड़न आत्महत्या के प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं।
- पुलिस और सुरक्षाबलों में इस प्रकार के मामले अधिक देखने को मिलते हैं।
- समय पर काउंसलिंग, सहयोग और तनाव प्रबंधन की व्यवस्था न होने से स्थिति गंभीर होती जा रही है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
पिछले कुछ वर्षों में बिहार पुलिस और अर्धसैनिक बलों में आत्महत्या की घटनाएँ बढ़ी हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि:
- जवानों को अक्सर परिवार से दूर रहना पड़ता है।
- काम का दबाव और अधिकारियों का व्यवहार तनाव को बढ़ाता है।
- मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कोई ठोस नीति न होने के कारण जवान ऐसे कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं।
निष्कर्ष
बोधगया बीएमपी-3 परिसर में एएसआई राजेश कुमार सिंह की संदिग्ध मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। परिवार का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या है। वहीं पुलिस कह रही है कि मामले की पूरी जांच की जा रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।
इस घटना ने फिर से यह बहस छेड़ दी है कि पुलिस और सुरक्षाबलों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर कदम उठाने की जरूरत है। यदि समय रहते ऐसे मामलों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में और भी दर्दनाक घटनाएँ सामने आ सकती हैं।