• Fri. Apr 18th, 2025

“डिजिटल अरेस्ट” एक नई साइबर धोखाधड़ी तकनीक है, जिसमें अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी बताकर लोगों को डराते हैं और उनसे पैसे वसूलते हैं। वे पीड़ितों को वीडियो कॉल पर रखते हैं, उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखने का दावा करते हैं, और उनकी व्यक्तिगत जानकारी या धन की मांग करते हैं।​

⚠️ जागरूकता के लिए प्रमुख बिंदु:

  • डराने की रणनीति: अपराधी पीड़ितों को बताते हैं कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जैसे कि मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग तस्करी, और उन्हें तुरंत कार्रवाई की धमकी देते हैं।​
  • वीडियो कॉल के माध्यम से नियंत्रण: वे पीड़ितों को वीडियो कॉल पर रखते हैं, उन्हें अकेले रहने और किसी से संपर्क न करने के लिए कहते हैं, जिससे वे मानसिक दबाव में आ जाते हैं।​
  • धोखाधड़ी से धन की मांग: अपराधी पीड़ितों से कहते हैं कि वे अपनी निर्दोषता साबित करने के लिए पैसे ट्रांसफर करें, जो कि पूरी तरह से झूठ होता है।​

📢 सुरक्षा के उपाय:

  • अनजान कॉल्स से सावधान रहें: किसी भी अनजान नंबर से आए कॉल पर तुरंत विश्वास न करें, विशेषकर यदि वह सरकारी अधिकारी होने का दावा करे।​
  • व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: किसी भी स्थिति में अपनी बैंक डिटेल्स, आधार नंबर या अन्य संवेदनशील जानकारी साझा न करें।​
  • सरकारी वेबसाइट पर रिपोर्ट करें: यदि आपको ऐसा कोई कॉल या संदेश प्राप्त होता है, तो तुरंत cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें या 1930 पर कॉल करें।​
  • स्थानीय पुलिस से संपर्क करें: अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इस तरह की घटनाओं की जानकारी दें।​

🧠 जागरूकता बढ़ाने के लिए संसाधन:

  • Stay Safe Online: यहां आपको “डिजिटल अरेस्ट” स्कैम से संबंधित जागरूकता पोस्टर मिलेंगे, जिन्हें आप डाउनलोड कर सकते हैं।​
  • Cyber Crime Awareness Gallery: यहां विभिन्न साइबर अपराधों से संबंधित जागरूकता सामग्री उपलब्ध है।​
  • Instagram पर जागरूकता पोस्टर: यहां आपको “डिजिटल अरेस्ट” स्कैम से संबंधित जागरूकता पोस्टर मिलेंगे।​