भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वस्तु एवं सेवा कर (GST) 1 जुलाई 2017 से एक ऐतिहासिक कर सुधार साबित हुआ। “वन नेशन, वन टैक्स” की परिकल्पना के साथ शुरू हुआ यह प्रयोग कई उतार-चढ़ाव से गुज़रा। कर चोरी की रोकथाम, राज्यों-केंद्र के बीच राजस्व बंटवारा, वर्गीकरण विवाद और इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर जैसी चुनौतियाँ लगातार सामने आती रहीं।
आठ वर्षों के अनुभव और सुधारों के बाद, 3 सितंबर 2025 को आयोजित जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक ने भारतीय कर इतिहास में नया अध्याय खोला। लगभग 10.5 घंटे लंबी इस बैठक में केंद्र और राज्यों ने मिलकर जीएसटी 2.0 को मंजूरी दी। इस सुधार के तहत देश में अब दो मुख्य कर दरें (5% और 18%) तथा 40% का विशेष डिमेरिट टैक्स लागू होगा।
जीएसटी 1.0 से जीएसटी 2.0 तक की यात्रा
2017: जीएसटी लागू, 5%, 12%, 18%, 28% की चार दरें।
2018-2023: लगातार दरों में कटौती, खासकर उपभोग वस्तुओं और MSMEs को राहत।
2024: कई राज्यों ने राजस्व हानि की शिकायत की, दरों के पुनर्गठन पर चर्चाएँ तेज़।
2025: व्यापक विचार-विमर्श के बाद जीएसटी 2.0 का शुभारंभ।
इस यात्रा ने स्पष्ट किया कि कर व्यवस्था जितनी सरल होगी, अनुपालन उतना ही आसान और जन-सहभागिता उतनी ही बढ़ेगी।
जीएसटी 2.0 के प्रमुख सुधार
- दो-स्लैब संरचना
पहले चार दरें (5%, 12%, 18%, 28%) थीं।
अब केवल दो दरें:
5% (Merit Rate) – ज़रूरी और रोज़मर्रा की वस्तुएँ।
18% (Standard Rate) – अधिकांश सामान और सेवाएँ।
40% का डिमेरिट टैक्स – तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला और अत्यधिक विलासिता वाली वस्तुएँ।

- स्वास्थ्य और बीमा पर कर से राहत
व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियाँ – अब 0% जीएसटी।
सभी प्रकार के जीवन बीमा (टर्म, एंडोमेंट, ULIP, फैमिली फ्लोटर, सीनियर सिटीजन पॉलिसी) – पूरी तरह से जीएसटी मुक्त।
👉 इससे मध्यमवर्गीय और वरिष्ठ नागरिकों को सीधी राहत मिलेगी।
- रोज़मर्रा की वस्तुएँ सस्ती
5% पर लाई गई वस्तुएँ (पहले 12%/18%)
साबुन, शैम्पू, हेयर ऑयल
टूथपेस्ट, टूथब्रश
साइकिल, किचनवेयर, टेबलवेयर
पैकेज्ड नारियल पानी, सोया मिल्क, फल जूस
मक्खन, चीज़, कंडेंस्ड मिल्क, पास्ता
सूखे मेवे, खजूर, सॉसेज
0% जीएसटी (पहले 5%)
दूध (UHT), पनीर (छेना), रोटी/चपाती
पिज़्ज़ा ब्रेड, खाखरा
इरेज़र (शैक्षणिक वस्तु)
- सफेद वस्तुएँ और इलेक्ट्रॉनिक्स
टीवी, एसी, डिशवॉशर – अब 18% (पहले 28%)।
उपभोक्ता वस्तुएँ अधिक सुलभ होंगी।

- ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बदलाव
छोटे कार (पेट्रोल ≤1200 cc, डीज़ल ≤1500 cc, लंबाई ≤4 मीटर) – 18%।
350 cc से कम बाइक और सभी ऑटो पार्ट्स – 18%।
बड़े लग्ज़री वाहन – 40%।
इलेक्ट्रिक वाहन – 5% (जैसा पहले था)।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ
जिम, योगा सेंटर, सैलून, ब्यूटी सेवाएँ – अब 5% (पहले 18%)।
👉 यह आम नागरिकों की जीवनशैली पर खर्च कम करेगा।
- उद्योग और कृषि को लाभ
कपड़ा उद्योग
मैनमेड फाइबर – 18% से घटकर 5%।
मैनमेड यार्न – 12% से घटकर 5%।
उर्वरक क्षेत्र
अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड – 18% से घटकर 5%।

आर्थिक प्रभाव
- राजस्व पर असर
केंद्र सरकार का अनुमान – ₹48,000 करोड़ का राजस्व प्रभाव।
राज्यों का अनुमान – ₹80,000 करोड़ से ₹1.5 लाख करोड़ तक की हानि।
सरकार का दावा – यह “फिस्कली सस्टेनेबल” (वित्तीय रूप से टिकाऊ) है।
- व्यापार जगत की प्रतिक्रिया
CII, FICCI, ASSOCHAM ने फैसले का स्वागत किया।
उद्योग ने वादा किया कि कर कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचेगा।
MSME को सरल रिफंड और तेज़ पंजीकरण प्रक्रिया से राहत।
- उपभोक्ताओं पर असर
रोज़मर्रा की ज़रूरी वस्तुएँ सस्ती।
स्वास्थ्य व बीमा सेवाओं पर टैक्स हटने से परिवारों की बचत।
घरेलू उपकरणों और छोटे वाहनों की खरीद आसान।

राजनीतिक-सामाजिक परिप्रेक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: “यह सुधार किसानों, मध्यम वर्ग, महिलाओं, युवाओं और छोटे कारोबारियों को सीधा लाभ देंगे।”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण: “यह केवल दरों का पुनर्गठन नहीं बल्कि Ease of Living और Ease of Doing Business का प्रयास है।”
राज्यों ने राजस्व हानि की चिंता जताई, लेकिन अंततः सहमति से फैसला लिया गया।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में भी सरल स्लैब आधारित VAT/GST है।
भारत का यह सुधार वैश्विक मानकों की दिशा में एक और कदम है।
चुनौतियाँ
- राजस्व हानि – राज्यों की वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है।
- कार्यान्वयन – दरों का तुरंत असर उपभोक्ता तक पहुँचना ज़रूरी है।
- अनुपालन – छोटे कारोबारियों को नई व्यवस्था समझने में समय लगेगा।
- कर चोरी और विवाद – स्लैब कम होने से वर्गीकरण विवाद घटेंगे, लेकिन निगरानी की ज़रूरत रहेगी।

निष्कर्ष
जीएसटी 2.0 भारतीय कर व्यवस्था को सरल, पारदर्शी और जन-हितैषी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
आम जनता: रोज़मर्रा की वस्तुएँ और सेवाएँ सस्ती।
मध्यम वर्ग: बीमा और स्वास्थ्य पर कर से छुटकारा।
उद्योग जगत: कर विवाद और अनुपालन में राहत।
केंद्र-राज्य संबंध: सहमति और सहयोग की नई मिसाल।
हालांकि राजस्व हानि और क्रियान्वयन की चुनौतियाँ बनी रहेंगी, लेकिन यदि लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचे और उद्योग पारदर्शिता बनाए रखें, तो यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक दृष्टि से बेहद सकारात्मक सिद्ध होगा।