कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू पर्व है। यह त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे भारत और विदेशों में बसे भक्तों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
कृष्ण जन्म की प्रेरक कथा
कंस ने देवकी के सात बच्चों को मार डाला, लेकिन आठवें बच्चे, श्रीकृष्ण, को वसुदेव ने यमुना पार कर गोकुल में नंद-यशोदा के घर पहुँचा दिया। वहीं उनका पालन-पोषण हुआ और बाद में उन्होंने अन्याय और अधर्म का अंत किया।
कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
- उपवास और मध्यरात्रि पूजा — भक्त पूरे दिन उपवास रखकर रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाते हैं।
- झूला सजाना — मंदिरों और घरों में झूलों पर लड्डू गोपाल विराजते हैं।
- दही-हांडी उत्सव — खासकर महाराष्ट्र में गोविंद मंडल मटकी फोड़ते हैं।
- भजन-कीर्तन — श्रीकृष्ण के भक्ति गीत, रासलीला और मुरली वादन होता है।
गीता का संदेश आज भी प्रासंगिक
श्रीकृष्ण ने गीता में कहा —
“कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”
यह शिक्षा आज की दौड़-भाग वाली जिंदगी में भी प्रेरणा देती है कि निष्ठा और ईमानदारी से कर्तव्य पालन ही सच्ची सफलता है।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 पर खास संदेश
कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह हमें साहस, भक्ति और धर्म की राह पर चलने का संकल्प दिलाता है। इस दिन हमें ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और अपने जीवन में श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
1. शुद्धता और स्वच्छता
- व्रत शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल और घर को साफ-सुथरा रखें।
2. संकल्प और नियम
- व्रत की शुरुआत में भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए संकल्प लें।
- व्रत के नियमों का पालन करें — दिनभर अन्न का त्याग, केवल फलाहार या निर्जल उपवास।
3. भोजन और परहेज़
- प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- फल, दूध, दही, माखन, पंजीरी और चिरौंजी का सेवन करें।
- व्रत के दौरान पैकेट या प्रोसेस्ड फूड से बचें।
4. पूजा और भजन-कीर्तन
- भगवान श्रीकृष्ण की बाल स्वरूप में पूजा करें।
- रात्रि 12 बजे जन्मोत्सव के समय शंख बजाकर और आरती करके व्रत पूर्ण करें।
- गीता पाठ, विष्णु सहस्रनाम और कृष्ण भजनों का गायन करें।
5. स्वास्थ्य का ध्यान
- यदि निर्जल व्रत कर रहे हैं, तो दिन में आराम करें और ओवरएक्सर्शन से बचें।
- बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और बीमार व्यक्ति डॉक्टर की सलाह लेकर ही कठोर व्रत करें।
6. दान और सेवा
- व्रत के दिन गरीबों, गौशाला और ज़रूरतमंदों को भोजन, कपड़े या मिठाई दान करें।
- यह व्रत का पुण्य बढ़ाता है।
