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🌼 परिचय

दीपावली के बाद आने वाला दिन भारतीय समाज, विशेष रूप से कायस्थ समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह दिन चित्रगुप्त पूजा या कायस्थ पूजा के नाम से प्रसिद्ध है।
चित्रगुप्त जी को भगवान यमराज के लेखाकार माना जाता है, जो मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इस दिन लोग कलम-दवात की पूजा करते हैं और नए कार्यों की शुरुआत करते हैं।


📖 चित्रगुप्त जी कौन हैं?

पुराणों के अनुसार, जब सृष्टि की रचना हुई, तब भगवान ब्रह्मा ने धर्म का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष देवता का निर्माण किया — चित्रगुप्त
चित्रगुप्त जी का जन्म भगवान ब्रह्मा के काया (शरीर) से हुआ था, इसलिए उनके वंशजों को कायस्थ कहा जाता है।
उनका कार्य है — हर व्यक्ति के जीवन के कर्मों का लेखा रखना, ताकि मृत्यु के बाद यमराज को यह पता चल सके कि किसे स्वर्ग और किसे नरक में जाना चाहिए।


🌸 चित्रगुप्त पूजा का महत्व

यह पूजा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि लेखन, शिक्षा और न्याय के प्रतीक चित्रगुप्त जी के प्रति सम्मान का पर्व है।
कायस्थ समुदाय में यह दिन ज्ञान, न्याय और ईमानदारी के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
लोग इस दिन कलम, कॉपी, खाते, रजिस्टर, और दवात की पूजा करते हैं, यह मानते हुए कि आने वाला वर्ष ज्ञान और सफलता से भरपूर होगा।


✍️ पूजा की विधि

  1. सुबह स्नान के बाद पूजा स्थल की सफाई करें।
  2. चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
  3. एक नई कॉपी, कलम और दवात रखें।
  4. हल्दी, चावल, फूल, अगरबत्ती, और दीया जलाएं।
  5. पूजा में चित्रगुप्त जी का निम्न मंत्र पढ़ें — “ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः।”
  6. पूजा के बाद नई कॉपी में “श्री गणेशाय नमः” और “जय चित्रगुप्त देव” लिखें।
  7. प्रसाद में सत्तू, गुड़, बताशा, कलम-दवात का विशेष महत्व है।

🧾 कायस्थ समाज और चित्रगुप्त पूजा

कायस्थ समुदाय में यह दिन एक प्रकार से नया वर्ष भी माना जाता है।
व्यापारी वर्ग अपने नए बही खाते (लेजर) की शुरुआत इसी दिन करता है।
यह दिन ज्ञान और लेखन की देवी सरस्वती तथा न्याय के देवता चित्रगुप्त दोनों की कृपा प्राप्त करने का अवसर होता है।

कई स्थानों पर सामूहिक पूजा भी आयोजित की जाती है, जहाँ लोग एक साथ बैठकर पूजा करते हैं, भजन गाते हैं और धर्मग्रंथों का पाठ करते हैं।


🕯️ चित्रगुप्त पूजा और सामाजिक संदेश

यह पर्व हमें सिखाता है कि:

  • हर कर्म का परिणाम होता है।
  • न्याय हमेशा सत्य और ईमानदारी के साथ होना चाहिए।
  • ज्ञान और लेखन मनुष्य का सबसे बड़ा धन है।

इस पूजा का उद्देश्य है — हमें यह याद दिलाना कि जीवन में कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है।


📚 चित्रगुप्त पूजा और शिक्षा जगत

चूँकि चित्रगुप्त जी लेखन और ज्ञान के देवता हैं, इसलिए विद्यार्थी, शिक्षक और लेखक इस दिन विशेष रूप से पूजा करते हैं।
यह विश्वास है कि इस दिन पूजा करने से शिक्षा और बुद्धि में वृद्धि होती है।
आज भी कई स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में कलम-दवात पूजन की परंपरा निभाई जाती है।


💫 2025 में चित्रगुप्त पूजा की तिथि

चित्रगुप्त पूजा 2025 में 23 OCTOBER को मनाई जाएगी।
यह तिथि भाई दूज के दिन आती है, जब दीपावली का उत्सव समाप्त होता है और नया संवत शुरू होता है।


🌻 चित्रगुप्त पूजा का आधुनिक स्वरूप

अब यह पर्व सिर्फ धार्मिक नहीं रहा — यह अब नैतिकता, प्रोफेशनलिज्म और लेखन संस्कृति का प्रतीक बन चुका है।
लोग सोशल मीडिया पर भी चित्रगुप्त जी के संदेश साझा करते हैं —
कि “कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”
डिजिटल युग में भी, लोग इस दिन लैपटॉप और पेन ड्राइव तक की पूजा करते हैं — यह दर्शाता है कि परंपरा आधुनिकता के साथ आगे बढ़ रही है।


🪙 व्यापार और सफलता का आरंभ

जैसे दीपावली पर लक्ष्मी पूजन होता है, वैसे ही चित्रगुप्त पूजा पर नई शुरुआत की जाती है।
यह दिन व्यापार और शिक्षा दोनों के लिए शुभ माना जाता है।
कहा जाता है कि जो इस दिन नई बही या नया प्रोजेक्ट शुरू करता है, उसे चित्रगुप्त जी का आशीर्वाद मिलता है।


🙏 उपसंहार

चित्रगुप्त पूजा केवल कायस्थों का नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का पर्व है जो लेखन, न्याय और सच्चाई को जीवन में अपनाता है।
यह हमें याद दिलाती है कि ईश्वर सब देखता है, हर कर्म का लेखा-जोखा कहीं न कहीं दर्ज होता है।
इसलिए —

“कर्म को धर्म मानो, न्याय को आदर्श बनाओ।”